चक्रव्यूह को तोड़ना ही है साधन का उद्देश्य: दिव्य मोरारी बापू

राजस्‍थान/पुष्‍कर। परम पूज्‍य संत श्री दिव्‍य मोरारी बापू ने कहा कि परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य एवं उत्तम व्यवस्था में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय समस्त भक्तों की स्नेह एवं सौजन्य से श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ। दिनांक÷ 4-12-2021 से 10-12 2021 तक। कथा का समय- दोपहर 12:15 बजे से 4:15 बजे तक।
कथा स्थल- वृंदा होटल बिजासण माता मंदिर के पास केकड़ी (अजमेर) वक्ता-राष्ट्रीय संत श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू। सत्संग के अमृत बिंदु- माया के सबसे आश्चर्यजनक चरित्र यह हैं कि इससे मन में कभी संतोष नहीं आता। मनुष्यों को संसार के प्रति मोहित करना ही उसका खेल है। माया व काल के चक्रव्यूह के कारण आत्मा (मनुष्य) धार्मिक दिखते हुए भी परमात्मा से दूर रहता है। सद्गुरु कृपा से उस चक्रव्यूह को तोड़ना ही साधन का उद्देश्य है। संकल्प शक्ति की भावना मनुष्य को सांसारिक क्रियाकलापों की ओर ले जाती है, वह मैं का अभिमान भी पैदा करती है। इसके विपरीत प्रभु को समर्पण की भावना में निष्क्रिय होने का भय रहता है। अभिमान रहित हो व प्रभु को समर्पण की भावना के साथ कर्मवीर होना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए। जीवन तो आनंद के लिए है। जितनी आवश्यकता है, उतना ग्रहण करें, साधना करें, भक्ति की ओर अग्रसर हों। हम बाहर न देख कर हमारे अंतर में दृष्टिपात करें, तो हम जीवन के गुणदोष से परिचित हो सकेंगे। बादल का मूल्य कब है, जब वह जल से भरा हो। उसी प्रकार जीवन तब उपयोगी माना जायेगा, जब हम परमात्मा से जुड़े होंगे। यदि हमें कांटा लगता है तो उसकी चुभन से बचने के लिये हम उसे निकालते हैं। उसी प्रकार संसार में रहकर विलास चुभे तो भक्ति की चिमटी से उसे निकाल फेकेंगे तो पीड़ा से बस जायेंगे। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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