ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से पापी मनुष्य भी हो जाते है मुक्त: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, ज्योतिर्लिंगों में शिवजी पूर्णांश में विराजमान रहते हैं। ज्योतिर्लिंगों का नाम और वृतांत इस प्रकार है। ” पहले सोमनाथ सौराष्ट्र में गिरजा सहित विराजमान है। दूसरे मल्लिकार्जुन श्रीशैल पर स्थित हैं। तीसरे महाकाल उज्जयिनी में सुशोभित हैं। चौथे अमरनाथ हिमालय पर्वत पर स्थित हैं। पांचवें केदारेश्वर केदारनाथ में सुशोभित हैं। छठे भीमाशंकर डाकिनी तीर्थ स्थल पर स्थित है। सातवें विश्वनाथ काशी में विराजमान है। आठवें त्रयम्बक गौतमी नदी के तट पर स्थित है। नवें वैद्यनाथ चिता भूमि में निवास करते हैं। दसवें दारुक वन में सुशोभित है। ग्यारहवें रामेश्वर सेतु के ऊपर निवास करते हैं तथा बारहवें द्युतिमान् शिव गृह में विराजमान हैं। जो व्यक्ति प्रभात के समय पवित्र होकर उन बारहों ज्योतिर्लिंगों के नाम लेता है, उसके संपूर्ण मनोरथ पूर्ण होते हैं। हे नारद ! इन ज्योतिर्लिंगों का प्रभाव तथा महिमा अप्रमेय है। मोक्ष केवल चार प्रकार के व्यक्तियों को ही मिलता है। वे यह हैं-शिव जी के भक्त, वेदपाठी, ज्ञानी तथा ध्यानी। ज्योतिर्लिंगों के दर्शन से पापी मनुष्य भी मुक्त हो जाते हैं। अस्तु ज्योतिर्लिंगों का दर्शन, सेवन,स्मरण तथा पूजन अवश्य करना चाहिए। अब मैं तुमसे उप ज्योतिर्लिंगों का अलग-अलग वर्णन करता हूं। पहले अंतकेश अथवा सोमेश्वर उसी स्थान पर विराजमान है जहां महासागर नामक समुद्र स्थित है। दूसरा रूद्र नाम उपलिंग भृगुकक्ष में है। तीसरे उपलिंग का नाम है दुग्धेश, चौथे का कदम्वेश, पांचवें भूमेश, छठवें भीमेश्वर, सातवें लोकनाथ, आठवें का नाम त्यम्बक या त्रिनयन,नवें बैजनाथ, दसवें भूतेश्वर,ग्यारहवें गुप्तेश्वर तथा बारहवें का व्याघ्रेश प्रसिद्ध है। इन उपलिंगों के दर्शन से मनुष्य को अत्यंत आनंद प्राप्त होता है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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