नई दिल्ली। दुनियाभर में इस वक्त इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ाए जाने की कोशिशें तेज हुई हैं। भारत में भी कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य के तहत ई-वाहनों का प्रचार जारी है, लेकिन इसके बावजूद इन्हें खास बढ़ावा नहीं मिला है। इसके पीछे कई वजहें दी जाती हैं, लेकिन जो दो सबसे बड़ी वजहें अब तक सामने आई हैं, उनमें एक है ई-वाहनों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी। अब इन्हीं कमियों को दूर करने का एलान करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि उनका मंत्रालय दिल्ली से जयपुर तक इलेक्ट्रिक हाइवे के निर्माण के लिए एक विदेशी कंपनी से बातचीत कर रहा है। विद्युत ऊर्जा से चलने वाले वाहनों के ज्यादातर खरीदारों की शिकायत है कि आम हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर सरकार या निजी कंपनियों की तरफ से चार्जिंग स्टेशनों की व्यवस्था नहीं की गई है। इसके चलते उनके पास अपनी गाड़ियों को चार्ज करने के काफी कम संसाधन हैं। उधर ईवी गाड़ियों के कम प्रचलन और तकनीक की वजह से इनके स्पेयर पार्ट्स की कीमतें भी काफी ज्यादा हैं। इसके चलते यह गाड़ियां पारंपरिक पेट्रोल-डीजल या सीएनजी से चलने वाली गाड़ियों के मुकाबले महंगी साबित होती हैं। इस समस्या को दूर करने पर जोर देते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि दिल्ली से जयपुर तक इलेक्ट्रिक हाईवे बनाना मेरा सपना है। यह अभी भी एक प्रस्तावित परियोजना है। नितिन गडकरी ने कहा कि एक परिवहन मंत्री के रूप में, उन्होंने देश में पेट्रोल और डीजल के उपयोग को खत्म करने का संकल्प लिया है। उन्होंने देश में ई-वाहनों को बढ़ावा देने और उसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए प्रतिबद्धता भी जताई। इलेक्ट्रिक हाईवे को किसी पारंपरिक हाईवे से अलग बनाने की जरूरत नहीं होती। यानी एक ही हाईवे में पारंपरिक गाड़ियां और इलेक्ट्रिक गाड़ियां साथ चल सकती हैं। हालांकि जहां पेट्रोल-डीजल से चलने वाली गाड़ियों को हाईवे में बीच में ही ईधन भराने के लिए रुकना पड़ता है, वहीं इलेक्ट्रिक हाईवे पर चलने वाली ई-कारों को इस समस्या से नहीं जूझना पड़ता। ऐसे हाईवे में ई-कार, ई-ट्रक या ई-बस के लिए ऐसे इंतजाम किए जाते हैं कि वे सड़क पर चलते ही चार्ज हो जाएं।