दूसरे को महानता देने वाले ही सच्चे अर्थ में होते हैं महान: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। श्रीमद् भागवत कथा में नंदोत्सव परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य एवं उत्तम व्यवस्था में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय, सर्वे भवन्तु सुखिनः समस्त भक्तों के स्नेह और सहयोग से श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ कथा। दिनांक 4-12-2021 से 10-12-2021 तक। कथा का समय-दोपहर 12:15 बजे से 4:15 बजे तक। कथा स्थल-वृंदा होटल बिजासण माता मंदिर के पास केकड़ी (अजमेर) कथा वक्ता-राष्ट्रीय संत श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी बापू।कथा का विषष-गजेंद्र मोक्ष, समुद्र- मंथन, वामन अवतार, श्री रामचरित, श्रीकृष्ण जन्म एवं नंदोत्सव की कथा का गान किया गया एवं बड़े उत्साह से भक्तों के द्वारा नंदोत्सव मनाया गया। कल की कथा में बाललीला, कालिया मानमर्दन और गोवर्धन पूजा की कथा का गान किया जायेगा।भागवत कथा के अमृत बिंदु श्रीमद् भागवत महापुराण में कृष्णजन्म से पहले भगवान् श्री राम का मंगलमय चरित्र आया है। दूसरे को महानता देने वाले ही सच्चे अर्थ में महान होते हैं। भगवान् श्रीराम जी ने अन्य लोगों को कितना महान बनाया? इसके कारण राम भगवान कितने महान हुये। श्रृंगवेरपुर के एक केवट को रामजी ने कितना बड़प्पन दिया? यश प्राप्त करने की दौड़ में आगे रहना अनुचित बात नहीं है, मगर दूसरे की बात को बिगाड़ कर यश प्राप्त करना अनुचित है। यश भागी बनने और यश भागी बनने के लिये दूसरे को यश देने की वृत्ति रखने से ही यशभागी बन सकोगे। जगत में बड़ा वह है, जो अन्य को बड़ा कर दिखाता है। भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्य् का अवसर जानकर नंद बाबा की बहन सुनंदा जी आयी हैं। हम आपको भी सुनंदा बनना है। जगत में दो प्रकार के लोग होते हैं। एक प्रकार के लोग जहां जाते हैं वहां आनंद होता है और दूसरे प्रकार के लोग जहां से जाते हैं? वहां आनंद होता है। जहां जाते हैं वहां आनंद होता है, उसका नाम है नंद और जहां से जाते हैं, वहां आनंद होता है उसका नाम है ननंद। बहनों को भागवत की सलाह है कि ननंद मत बनना। नंद बाबा की बहन सुनंदा बनना। चेतना का विकास होता चला जाता है, तो हमारा प्रेम आनंत की ओर बहने लगता है और अनन्तता की ओर बढ़ता चला जाता है। शिष्य की शरणागति को सद्गुरु पहले देखते हैं, बाद में ही आदेश देते हैं। उसके पहले वह उपदेश देते हैं। आदेश कब दिया जाता है, जब गुरु को विश्वास हो जाता है कि आदेश का उल्लंघन नहीं होगा, तभी आदेश देते हैं। इसीलिये आप गीता में देखेंगे कि क्रमशः अर्जुन के प्रति भगवान श्री कृष्ण के वचन आदेशात्मक बनते जाते हैं और अर्जुन भी याचना करता है कि हे भगवन्! मेरा मार्गदर्शन कीजिये, मुझे आदेश दीजिये,उपदेश करिये। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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