देवताओं के पूजन में आलस्य और कामना का करना चाहिए त्याग: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि देवताओं के पूजन में आलस्य और कामना का त्याग। शास्त्र-मर्यादा से अथवा लोक- मर्यादा से पूजने के योग्य देवताओं को पूजने का नियत समय आने पर उनका पूजन करने के लिये भगवान की आज्ञा है एवं भगवान् की आज्ञा का पालन करना परम कर्तव्य है, ऐसा समझकर उत्साह पूर्वक विधि के साथ उनका पूजन करना एवं उनसे किसी प्रकार की भी कामना न करना। सांसारिक कामना दुःख रूप है। आज नहीं तो कभी भी दुःख देने वाली ही है। इसलिये सांसारिक कामना से बचने का प्रयास करना चाहिए। प्रथम तो सांसारिक कामनाओं का कभी अन्त नहीं आता। एक कामना पूर्ण हो गई तो दूसरी कामना का जन्म हो जाता है और जो कामनाएं इस जन्म में पूर्ण न हो सकी, उनके लिए दूसरा जन्म लेना पड़ता है, और क्या निश्चित है कि दूसरे जन्म में हम कोई अन्य कामना नहीं करेंगे। दूसरे जन्म में भी कामना करेंगे और इस तरह तो हमारे जन्म मरण का कभी अंत होने वाला ही नहीं है। इसलिए भवदीय कामना अथवा तो संसार की क्षणभंगुरता और कामना दुःख रूप है ऐसा मानकर उनका शिरे से त्याग कर देना ही श्रेयश्कर है। सभी हरि भक्तों के लिए, पुष्कर आश्रम एवं नव-निर्माणाधीन गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, ग्राम-पोस्ट= गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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