पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि ।।शरणागति पर सत्संग।। कहु लंकेश सहित परिवारा। कुसल कुठाहर बास तुम्हारा।। विभीषण भगवान श्री राम की शरण में आये, प्रभु श्री राम ने उन्हें हृदय से लगा करके, लंकेश कह करके कुशल पूछा। जैसे ही लंकेश कहा तो सुग्रीव जी से नहीं रहा गया। उन्होंने प्रभु के कान में कहा कि ठाकुर जी आपने मुझसे पूछा था कि क्या करें? तो मैंने कहा बांधकर रखना, वह भी आपने नहीं माना और दूसरा जैसे ही इन्होंने प्रणाम किया, आप इतने भावुक हो गये कि आपने इनको लंकेश कह दिया। अभी लंका का राजा तो जीवित है, रावण! उसके मरे बिना विभीषण लंकेश कैसे हो गये। प्रभु श्री राम ने कहा कि- “देखो सुग्रीव जी, आपके दोनों प्रश्नों का उत्तर देता हूं। आपने कहा था कि बांध कर रखो, तो भाई हम अयोध्या से लोहे की सांकले लेकर तो आये नहीं कि बांध लें। आपने कहा बांध कर रखना सो हमने इनको भुजाओं में बाँध लिया। सांकलों में बधा व्यक्ति तो जा सकता है, लेकिन राम की भुजाओं में जो एक बार बंध गया, वो जिंदगी में कभी जा ही नहीं सकता।” लेकिन प्रभु ये दुश्मन का भाई है। तो प्रभु ने मुस्कुरा कर कहा कि आप भी तो दुश्मन के भाई हैं। अगर विभीषण दुश्मन का भाई है तो बाली को मैंने मारा, बाली के भाई तो आप हैं अगर आप दुश्मन के भाई होकर मेरे साथ छल कपट नहीं कर सके, तो फिर रावण का भाई मेरे साथ छल कपट करेगा, ऐसी कल्पना क्यों कर रहे हो? अगर आप मुझे धोखा नहीं दे रहे, तो रावण का भाई धोखा कैसे दे देगा। दूसरे प्रश्न का उत्तर अगर रावण कल चरणों में आकर गिर जाये तो इसको आपने लंकेश कहकर पुकारा। सुग्रीव जी से प्रभु ने कहा-“आने दो। जाओ बुलाकर ले आओ। एक बार चरणों में गिर कर कह दे कि मुझसे अपराध हुआ है और मैं आगे कभी गलती नहीं करूंगा, तो इसको मैंने लंकेश कहा है, उसको अवधेश कह कर पुकारूँगा। पत्र लिखूंगा भरत को। दोनों भाइयों को बुला लूंगा वन में। हम चारों भाई जंगल में जिंदगी गुजार लेंगे। एक भाई लंकेश होगा और दूसरा भाई अवधेश हो जायेगा। प्रभु कहते हैं कि- ” मेरे दरबार में आने वाला व्यक्ति खाली हाथ नहीं जा सकता, किंतु निष्कपट आये। कपट लेकर नहीं आना चाहिये। निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।। रामजी की लीला तो हम आप सुनते-पढ़ते रहते हैं। बीच-बीच में जो मानव जीवन को महान बनाने के उपदेश दिए गये हैं, उन पर थोड़ा विशेष ध्यान देना चाहिये। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम,श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।