निष्काम भाव से सम्पूर्ण कर्मों का करें आचरण: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि आजीविका द्वारा गृहस्थ-निर्वाह के उपयुक्त कर्मों में आलस्य और कामना का त्याग। आजीविका के कर्म जैसे- वैश्य के लिये कृषि, गोरक्ष्य और वाणिज्य आदि कहे हैं, वैसे ही जो अपने-अपने वर्ण आश्रम के अनुसार शास्त्रों में विधान किये गये हों, उन सबके पालन द्वारा संसार का हित करते हुए ही गृहस्थ का निर्वाह करने के लिये भगवान् की आज्ञा है। इसलिये अपना कर्तव्य मानकर लाभ-हानि को समान समझते हुए सब प्रकार की कामनाओं का त्याग करके उत्साह पूर्वक उपर्युक्त कर्मों का करना।
उपर्युक्त भाव से कर्म करने वाले पुरुष के कर्म लोभ से रहित होने के कारण उनमें किसी भी प्रकार का दोष नहीं आ सकता; क्योंकि आजीविका के कर्मों में लोभ ही विशेष रूप से पाप कराने का हेतु है। उसी प्रकार अपने-अपने वर्ण- आश्रम के अनुसार सम्पूर्ण कर्मों में सब प्रकार के दोषों का त्याग करके केवल भगवान् की आज्ञा समझकर भगवान् के लिये निष्काम भाव से ही सम्पूर्ण कर्मों का आचरण करें। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)।