परमात्मा का दर्शन व्यक्ति को बनाता है विनम्र: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम् पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू कहते है कि प्रभु को वंदन करने से, साष्टांग प्रणाम करने से जीव के बंधन कटते हैं। सिर झुकाने का तात्पर्य है, अपनी ज्ञानशक्ति, अपना बुद्धि, विवेक आपको समर्पित कर रहा हूं। वंदन करने से भगवान का सामीप्य मिलता है। शरण मिलती है तो शांति मिलती है। भगवान् का वंदन भगवान् की प्राप्ति के लिये हो, उनकी शरणागति के लिये हो, भगवान् साध्य हों, साधन नहीं। भगवान् की प्रसन्नता के लिये जो सब कार्य करें, वही भक्त हैं। तभी बंधन से मुक्ति है। प्रातः काल प्रत्येक कार्य के आरम्भ में, मध्य में, अंत में भगवान् का वंदन करना चाहिये। प्रातःकाल उठते ही भगवान् का कर कमलों में दर्शन करो। दैहिक, दैविक, भौतिक तीनों अनुष्ठानों में आप ही आधारभूत हैं, मूलभूत हैं। परमात्मा का दर्शन तुम्हें विनम्र बना देगा। माता -पिता के चरणों को वंदन करो। जिनके माता-पिता दिवंगत हो गये हों वो मानसिक प्रणाम करें। जिन्हें प्रणाम करने की आदत है, उन्हें बल, यश, आयु, विद्या प्राप्त होती है। माता-पिता साक्षात् परमात्मा है यह शास्त्र सम्मत बात है। माता-पिता, गुरुजनों की सेवा करनी चाहिए। जिस तरह के तुम दर्शन करोगे, अंतःकरण उसी प्रकार का हो जायेगा। दृष्टि को बदलो। संसार में बुराई नहीं है हमारी दृष्टि बुरी है। हमें अपनी दृष्टि को सुधारना है। आंख के रास्ते से पाप भीतर प्रवेश करता है, देखना बुरा नहीं है, सौंदर्य बुरा नहीं है पर उसे उसी अधिकार से देखो जिस तरह तुम्हारा उस पर अधिकार हो। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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