भक्ति के बिना व्यर्थ है योग: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भक्ति मार्ग ईश्वर की भक्ति करने से जीवन उन्नत होता है। व्यसन और बुराइयों से व्यक्ति का अधःपतन होता है। भक्ति से किया हुआ प्रभु-स्मरण परमात्मा के पास पहुंचाता है। मन को प्रभु में डुबो दो,मन भर जायेगा, जीवन तर जायेगा। सामान्य जी जीवों के लिए भक्ति मार्ग श्रेय और सरल है। जिनका हृदय विशाल है और आंखें स्नेह युक्त हैं, उसके लिए प्रभु अत्यंत उदार हैं। प्रभु जी सामने आने वाले जीव को प्रेम से गले लगाते हैं। मनुष्य पैसे के लिए जितना पागल बनता है, उतना प्रभु के लिए नहीं, इसलिए भटकता है। भक्ति के बिना योग व्यर्थ है। आत्म दृष्टि से प्रेम उत्पन्न होता है और शरीर दृष्टि से मोह उत्पन्न  होता है। प्रभु प्रेम में प्रमाद न करें। इंद्रियों को प्रेम से समझाकर प्रभु के मार्ग पर ले जाओ। प्रभु प्रेम के बिना ज्ञान रखा है। भक्ति योग संसार के सुखों के लिए नहीं, भगवान की प्राप्ति के लिए करो। जिसे भक्ति का व्यसन है, उसका जीवन पवन है। हृदय को हमेशा सात्विक भाव से डूबोकर रखो। वर्ष में दो-तीन महीने तीर्थ में जाकर प्रभु भक्ति अवश्य करो। निर्विकार भाव से किया गया श्रृंगार भी प्रभु की भक्ति है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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