भक्ति से होती है ज्ञान की प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि भगवती सती ने भगवान् शंकर से प्रश्न किया कि गृहस्थ-जीवन में जीव का कल्याण हो, गृहस्थ-जीवन में भी व्यक्ति तनाव मुक्त रहे, इसका उपाय क्या है? भगवान शंकर ने कहा-सर्वश्रेष्ठ उपाय है ज्ञान की प्राप्ति। ज्ञान की प्राप्ति के बाद जीवन में कुंठा नहीं जागती। फिर व्यक्ति में तनाव नहीं रहता। आज तक किसी के पति सदा रहे? पुत्र-पुत्री सदा रहे? पत्नी सदा रही? राम जी के सामने भगवती सीता धरती में समा गई और राम जी ने फिर दूसरा विवाह नहीं किया और 11000 वर्षों तक ब्रम्हचर्यम् अखंडितम् अखंड ब्रह्मचर्य का पालन किया। दान करते, यज्ञ करते, कथा सुनते, यह सब करते हुए उन्होंने संसार को बताया कि जितना तुम विषयों से हटकर रहोगे, उतनी शांति पाओगे। इसीलिए ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न करो। ज्ञान की प्राप्ति होती है भक्ति से। जब तक किसी देवता की प्रेमाभक्ति तुम्हारे जीवन में नहीं जागेगी, तब तक तुम्हें ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती। ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रेमाभक्ति आवश्यक है। भक्ति दो प्रकार की होती है, वैधी और रागानुगा। गुरु से मंत्र ले लिया और उन्होंने पूजा की विधि बता दी। आपने अपने घर में इष्ट देवता रख लिये। कुछ दिन पूजा-पाठ में बड़ा उत्साह रहा लेकिन अब पूजा में मन नहीं लगता। मंत्र ले चुके हैं, विग्रह लाकर रख लिया है, इसलिए उत्साह न होते हुए भी हम उनका पूजन करते हैं। उत्साह न होने पर भी हम पाठ करते हैं।
 उत्साह न होने पर भी हम जप करते हैं। शास्त्र की विधि के अनुरूप हम पूजन कर रहे हैं, उसका नाम वैधी भक्ति है। दूसरी भक्ति है रागानुगा जो हृदय से उत्पन्न होती है। उसमें किसी को प्रेरणा नहीं देनी पड़ती, किसी को कहना नहीं पड़ता। बस, कथा सुनते ही वह छुपा हुआ हृदय का स्नेह जागृत हो जाता है। उसे पूजा करने में भार मालूम नहीं पड़ता,आलस्य नहीं होता, उसे आनंद आता है। जप करने में, कथा सुनने में आनंद का अनुभव होता है। आप भजन में बैठे और आपको लगे कि थोड़ा और जप लें, थोड़ा और भजन कर लें,तब समझ लेना कि आपकी प्रीति जाग गई है। यदि यह लगे कि माला जल्दी पूरी हो जाएगी और समय लगना चाहिए तब समझलेना आपका जीवन महान् बन जायेगा। रागानुगा भक्ति ज्ञान को जन्म देती है। प्रेमाभक्ति और अपरोक्ष ज्ञान दोनों परमात्मा को मिलाने में सहायक हैं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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