मंकीपाक्स से डरे नहीं, सावधान रहें

नई दिल्‍ली।विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी मान लिया है कि मंकीपाक्स एक वैश्विक बीमारी का रूप ले सकती है और इस रोग को लेकर ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा कर दी है। मंकीपाक्स दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है। यह उन देशों में भी दस्‍तक दे चुका है, जहां अभी तक इसका कोई मामला नहीं पाया गया था। पिछले एक महीने के अंदर इस रोग से संबंधित मामलों की संख्या बढ़कर पांच गुना हो चुकी है। भारत में भी दिल्‍ली समेत मंकीपाक्‍स के कुल चार मामले अभी तक सामने आ चुके हैं। आइए जानते हैं कि यह कितना खतरनाक है और इससे बचने के उपाय क्‍या हैं।

वायरस मामलों के विशेषज्ञ डा. आरके मणि ने कहा कि मंकीपाक्‍स से इतना भयभीत होने की जरूरत नहीं है। हां, सावधान रहने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि यह कोरोना वायरस की तरह खतरनाक नहीं है। कोरोना वायरस आपकी श्‍वसन तंत्र के जरिए आसानी से फैलता है। वह फेफड़ों को निशाना बनाता है। यह ज्‍यादा घातक है। मंकीपाक्‍स का फैलना थोड़ा मुश्किल है। यह नया वायरस नहीं है। इसके लिए वैक्‍सीन उपलब्‍ध हैं।

उन्‍होंने कहा कि मंकीपाक्‍स की व्‍यापक टेस्टिंग की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि जहां भी मंकीपाक्‍स के मरीज मिल रहे हैं वहां वैक्‍सीनेशन की रणनीति पर अमल करना होगा। उन्‍होंने चेताते हुए कहा कि मंकीपाक्‍स को लेकर भय फैलने की जरूरत नहीं है। उन्‍होंने कहा कि एक संक्रमित व्‍यक्ति सिर्फ एक ही व्‍यक्ति को संक्रमण फैला सकता है। ऐसे में कांटैक्‍ट ट्रेसिंग और संक्रमित मरीज को अइसोलेट करन आसान है। हाई रिस्क मंकीपाक्‍स मरीजों को 21 दिन के लिए आइसोलेट करने की सलाह दी जाती है।

यह वायरस नाक, मुंह और आंख के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। वर्तमान में लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनना छोड़ दिया है, यही कारण है कि यह वायरस फिर से अटेक करने लगा है। इसके लक्षण की चर्चा करते हुए उन्‍होंने कहा कि तेज बुखार, त्वचा पर चकत्ते, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकावट, गले में खराश और खांसी, आंख में दर्द या धुंधला दिखना, सांस लेने में कठिनाई, सीने में दर्द, पेशाब में कमी, बार बार बेहोश होना आदि है। मंकी पाक्स के मरीज से दूरी बना कर रहना चाहिए तथा उसे छूने से बिल्कुल परहेज करना चाहिए। लोगों को इससे बचे रहने के लिए भीड़ भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना चाहिए।

दो दशक में सात बार घोषित हुई ग्लोबल इमरजेंसी:-

बीमारियों को लेकर पिछले दो दशक में सात बार ग्‍लोबल इमरजेंसी घोषित की हैं। वर्ष 2009 में स्‍वाइन फ्लू, वर्ष 2014 में पोलियो और इबोला, वर्ष 2015 में जीका, वर्ष 2018 में केइबोला के बाद 2019 में कोविड-19 महामारी को ग्‍लोबल हेल्‍थ इमजरेंसी घोषित किया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि सारी हेल्‍थ इमरजेंसी महामारी नहीं बनतीं, लेकिन विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन का यह कदम ऐहतियाती है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने मंकीपाक्स पर सबसे टाप लेवल का अलर्ट जारी किया है। हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा का मतलब है कि संगठन मंकीपाक्स को दुनियाभर के लिए बड़ा खतरा मानता है।

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