पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि एक अनुपम शिव सिद्धांत-अपना सुख बांटना, दूसरों का दुःख लेना। जिस क्रिया से दूसरों को सुख मिलता हो, उस क्रिया में स्वयं को थोड़ा दुःख भी मिल जाए, तब उस दुःख को सह लेना चाहिए। यदि आप दुनियां में सबके प्यारे बनना चाहते हो, तब अपना सुख बांटना सीख लो और यदि लेना हो, तब दूसरों का दुःख ले लो। जो अपना सुख बांटेगा, जो अपना सुख देकर दूसरों का दुःख लेगा, वह सामान्य मनुष्य नहीं, संत है, महात्मा है, वह भगवान का ही स्वरूप है। हम लोग दुनियां को देते थोड़ा हैं और जब देते हैं, अपना सुख नहीं देते, दुःख देना चाहते हैं और दुनियां से सुख लेना चाहते हैं, हम किसी का दुःख लेने को तैयार नहीं है। अपने बच्चों को सुखी बनाने के लिए हम झूठ बोलते हैं, बढ़िया सैंपल दिखा कर घटिया सामान बेचते हैं। दूसरों के साथ ठगी करते हैं, बेईमानी करते हैं, हम दूसरों का सुख लेते हैं,अपने परिवार को सुखी बनाने के लिए, बदले में दूसरों को दुःख देते हैं। शास्त्र कहते हैं कि यह फार्मूला गलत है। सही फार्मूला यह है कि आप अपना सुख दूसरों को दो और दूसरों का दुःख स्वयं ले लो। राजा रंतिदेव कहते हैं- हे परमात्मा! मुझे तुम्हारा बैकुंठ नहीं चाहिए, मोक्ष नहीं चाहिए, संसार का राज्य नहीं चाहिए, मैं चाहता हूं कि सारे संसार का दुःख मेरे सिर पर आ जाए और सारा संसार सुखी हो जाए, क्योंकि सबके अंदर आप ही बसते हैं। पुराणों के आधार पर जब रंतिदेव चांडाल को पानी पिलाने लगे, तब चांडाल गायब हो गया और ब्रह्मा, विष्णु और महेश प्रगट हो गए।
आप संसार को दे क्या रहे हो? यह देखो, आत्म निरीक्षण करो कि आप सुख दे रहे हो या दुःख दे रहे हो। अनेक ऐसे लोग हुए जिन्होंने कहा कि हम संसार को सुख ही देंगे, हम संसार का दुःख ही लेंगे। हमें संसार से सुख नहीं चाहिए, हम समाज का दुःख ही बांटेंगे। अपने प्रारब्ध में ईमानदारी से जितना सुख मिल गया, ठीक है। यह शिव- सिद्धांत है। आहारशुद्धौ सत्वशुद्धिः सत्वशुद्धौ ध्रुवस्मृतिः। जब तक आपका भोजन नहीं सुधरेगा, तब तक आपका हृदय शुद्ध नहीं हो सकता। जब तक हृदय शुद्ध नहीं होगा, तब तक बुद्धि निर्मल नहीं होगी। जब तक बुद्धि निर्मल नहीं होगी, तब तक विवेक जागृत नहीं होगा। विवेक नहीं होगा, तब तक वैराग्य नहीं होगा। जब तक बैराग्य नहीं होगा, तब तक भजन नहीं होगा और यदि भजन नहीं होगा तब भगवान् की प्राप्ति नहीं होगी। यह क्रम है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।