भजन-पूजन में सहायक है पवित्रता: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा पवित्रता, भजन-पूजन में सहायक है। तन और वातावरण की पवित्रता और दूसरे मन, बुद्धि की पवित्रता। इस बिंदु में हम बाहर की शुद्धि लेंगे। महर्षि पतंजलि पवित्रता पर उपयोगी सूत्र देते हैं- शौचात् स्वांगजुगुप्सा परैरसंसर्गः। पवित्रता क्यों? इसका उत्तर महर्षि देते हैं कि अंगों की सुधि करते-करते साधक को शरीर के अंगों से लगाव कम हो जाता है। जब बार-बार शरीर को धोते रहेंगे, क्योंकि इसे तो घड़ी-घड़ी में अपवित्र होना ही है। कभी-कभी यह शरीर रोगों से ग्रस्त रहता है, तो कभी अधिक या कम खाने से पीड़ित रहता है। हर समय इसकी देखभाल साधक के लिए सिरदर्द बन जाती है, तब उसकी शरीर के प्रति ममता टूटने लगती है और अनासक्ति पैदा होती है। इसलिए शास्त्र शौच अर्थात् पवित्रता को महत्व देते हैं। धर्म शास्त्रों में बाहर की शुद्धि के लिए मिट्टी और पानी के प्रयोग पर बल देते हैं। अतः प्रयास यही हो कि भजन-पूजन करने वाला व्यक्ति स्वयं के तन , वस्त्रों और बर्तनों को शुद्ध और पवित्र रखें। उसके भजन का स्थल शुद्ध और पवित्र हो, आसन शुद्ध हो, तथा वायु भी निर्मल हो तो उसकी साधना शीघ्र सफल होगी। वह भजन के समय अशुद्ध, मलिन और अपवित्र लोगों से दूर रहें अथवा उनके संपर्क में न आये। एकांत को इसलिए महत्व दिया गया है। भीतर की शुद्धिः धर्मशास्त्र भीतर की पवित्रता के लिये, सद्विचारों की खेती करने का सुझाव देते हैं अर्थात् अच्छा सोचें, अच्छा सुने और अच्छा अच्छा ही बोलें। दूसरों के गुणों को सतत् देखते रहें, तभी हमारे अंदर सद्गुणों का प्रवेश होगा। यदि दूसरों के दोष देखने का प्रयास करेंगे तो उन्हीं दोषों का चिंतन होगा और वही हमारे अंदर प्रवेश करेंगे। यद्यपि मधुर वाणी बाहरी गुण है तथापि इसका भीतर की शुद्धि पर प्रभाव पड़ता है। बाहरी अंगों से देखना, सुनना, बोलना, छूना यदि शुद्ध और उत्तम होगा तो अंदर के विचार उतने ही निर्मल होंगे। गंदे गाने सुनने वाला, गंदे दृश्य देखने वाला, कड़वी भाषा बोलने वाले का मन निर्मल कैसे हो सकता है? हर समय काम, दाम को सोचने के बजाय राम को सोचें। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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