पुष्कर/राजस्थान। यदि हम धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म हमारी रक्षा करता है। धर्म की रक्षा कैसे होगी, शंकराचार्य जी कहते हैं कि ब्राह्मणत्व की रक्षा होगी तो सनातन धर्म की रक्षा होगी और सनातन धर्म हमारा रक्षा कवच बनेगा। अंधकार समस्या नहीं है, हम दीप जलाने का प्रयास करें। अंधकार को कोसे नहीं। आलस्य से बैठना समाधान नहीं है, उपाय नहीं है। हम जहां भी हैं एक दीप जलायें। हम मिट्टी के दीये की तरह स्नेह तेल से भरे हुए हों। उसी का नाम जीवन है। भक्त भगवान से प्रार्थना करता है कि- अगर भक्ति भावना का आनंद प्राप्त करना चाहो, तो इन आंखों में आ बैठो। बादल वर्षों में बरसते हैं, और ये वर्षों से बरसते हैं। जीवन में जहां कहीं रहे उपयोगी बने रहें,आवश्यक बने रहें। क्योंकि अनुपयोगिता से तनाव होगा। राम के जीवन का मंगलमयी, गौरवमयी पक्ष यह है कि वे जहां और जब थे, तब और वहां उपयोगी एवं आवश्यक बनकर रहे। मानव के चोले में लोग बैल की जिंदगी जी रहे हैं। जिंदगी भर संसार की गाड़ी को ढोते ही रहते हैं। जीवन की गाड़ी बैल की तरह खींचते नजर आ रहे हैं। व्यर्थ बातों में जीवन बीतता चला जाता है। बच्चों को पालना, पोसना, बड़ा करना, ब्याह करना, बच्चों के घर बच्चे हुए फिर व्यवहार चलाते रहना, बस बैल की तरह जिंदगी को खींचते रहते हैं। शरीर मिला है मानव का, लेकिन जिंदगी जी रहा है बैल की। विश्वास से ही दुनिया चलती है। भरोसा जीवन का आधार है। हम कलिकाल को दोष देते हैं लेकिन भागवत ने इसी कलिकाल का लाभ भी बताया है। कलिकाल में कीर्तन मात्र से भगवान की प्राप्ति की बात बताई गई है। हम काल को दोष न दें। समस्या कलियुग नहीं, हम उसे मिथ्या दोष देते हैं। समस्या हमारी असावधानी एवं प्रमाद है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन श्री दिव्य घनश्याम धाम गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)