शिव से ही उत्पन्न होती है सृष्टि: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। सृष्टि के आदि,मध्य और अंत शिव है। शिव से ही सृष्टि उत्पन्न होती है, शिव के द्वारा ही सृष्टि का पालन होता है और अंतकाल में सब कुछ शिव में ही लय हो जाता है। श्री शिव महापुराण समस्त पुराणों का तिलक है। जिसे शिव की भक्ति और प्रसन्नता चाहिए उन्हें शिवपुराण अवश्य सुनना चाहिए। शिव पुराण सुनने से भक्ति ज्ञान वैराग्य की प्राप्ति होती है। शिवपुराण सुनने गाने से अंत में शिव की प्राप्ति अवश्य होती है। श्री शिव पुराण सुनने से ज्ञाताज्ञात पाप नष्ट हो जाते हैं। जो व्यक्ति शिवपुराण सुनता है वह संसार में सभी सुख भोगने के अंत में परमधाम को प्राप्त करता है। भगवान शिव भक्तों के लिए भोले और भक्तों को जो लोग दुःख देते हैं उनके लिए शिव त्रिशूल भी तो रखते हैं। शिव के द्वारा प्रणव की उत्पत्ति, प्रणव से गायत्री मंत्र की उत्पत्ति और गायत्री से वेद की उत्पत्ति बताई गई है। इसलिए गायत्री को वेद माता गायत्री कहते हैं। तात्पर्य शिव ही सब के मूल है।

सत्संग के अमृतबिंदु- ।।संत और समाज।। मां कभी अपने बच्चे को थप्पड़ मारती है तो भी वात्सल्य मिट नहीं जाता। वह गुस्सा भी करती है तो प्रेम मिट नहीं जाता। मां दंड भी देती है, थप्पड़ भी मारती है,केवल अपनी संतान की भलाई के लिए कठोर शब्द का प्रयोग करती है। कभी-कभी साधु-संत समाज को शब्दों से थप्पड़ मारते हैं, तो समाज की भलाई के लिए ऐसा करते हैं। साधु-संतों को शासन प्रशासन की गद्दी नहीं चाहिए। उन्हें कुछ नहीं चाहिए। ऐसी संतों का यदि राष्ट्र और समाज आदर नहीं करेगा तो उस समाज को हानि का सामना करना पड़ेगा। जिस समाज में, राष्ट्र में दुर्जनों को उसी वक्त दंड देने की हिम्मत नहीं है और जिस समाज में तत्कालीन सज्जनों, सत्पुरुषों, महापुरुषों का सम्मान उसी वक्त करने की समझ नहीं है, वह समाज और राष्ट्र कभी तरक्की नहीं कर सकता। परम पूज्य-संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि कल की कथा में सृष्टिखंड की कथा होगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग,  गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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