पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री करमैती जी का जीवन इस घोर कलिकाल में उत्पन्न होकर भी सर्वथा निष्कलंक रहा। इन्होंने अपने शरीर के पति नश्वर प्रेम को छोड़कर, आत्मा के पति भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में सच्चा प्रेम किया। अपने तर्कों के द्वारा सोच-विचारकर संसार के सभी सम्बन्धों को तोड़ डाला। निर्मल कुल काँथड्या और उनके पिता श्री परशुराम जी धन्य हैं, जिन्होंने श्री करमैती सरीखी भक्ता पुत्री को जन्म दिया। सर्वविदित है कि श्रीकरमैती जी ने घर को छोड़कर श्री वृंदावन धाम में निवास किया। संत-जन इनके त्याग, वैराग्य और भक्ति की बढ़ाई करते हैं। इन्होंने सांसारिक विषयों के भोगों से प्राप्त होने वाले सभी सुखों को वमन की तरह त्याग दिया अर्थात् फिर भूल कर भी उनकी ओर नहीं देखा। उन सुखों को प्राप्त करने की इच्छा नहीं की। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।