राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में “सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय सर्वे भवन्तु सुखिनः की मंगलमय भावना से सभी भक्तों के स्नेह और सहयोग से श्रीराम कथा ज्ञानयज्ञ महामहोत्सव।कथा का समय- दोपहर 12:15 से 4:15 तक। दिनांक÷ 16-12-2021से 24-12-2021 तक। कथा स्थल-पृथ्वीराज मैरिज गार्डन खटवा रोड न्यू कॉलोनी लालसोट। कथा का विषय- भगवान् श्रीराम की बाल-लीला, विश्वामित्र महाराज के यज्ञ की रक्षा, अहिल्या उद्धार की कथा का गान किया गया। कल की कथा में श्री सीताराम विवाह की कथा का गान किया जायेगा और उत्सव महोत्सव मनाया जायेगा। सत्संग के अमृत बिन्दु-संत-कृपा तीन प्रकार से होती है। संत जिस पर बारम्बार दृष्टिपात करें, उसका जीवन सुधरता है। माला फेरते समय जिसका स्मरण करते हैं, उसका जीवन सुधरता है तथा जिसे प्रेम-दृष्टि से देखें, उसका भी कल्याण होता है। संत का स्मरण पाप करने से रोकता है। संत की परीक्षा जाति तथा वर्ण से नहीं होती। संत की परीक्षा आंख एवं मनोवृति से होती है। संतधर्म को जीवन में उतारने से स्थूलवासना का नाश तो होगा, किन्तु मन एवं बुद्धि में जो सुक्ष्मवासना रहती है, उसका नाश नहीं होगा। जिसका अन्तिम जन्म है, उसी का मन शुद्ध होता है। मेरा मन शुद्ध है ऐसी कल्पना मत करो। संत तीर्थों को पवित्र करते हैं। संताप मत करो।हर्ष मत करो। संतोषी बनो। संतोष न होने से मनुष्य पाप करता है। संतों की दृष्टि शुद्ध होती है। संतों का दर्शन, मनुष्य को निर्विकार बनाता है। संतोषी ही सच्चा धनवान है, संध्या करने से बुद्धि का तेज बढ़ता है। संपत्ति आये तो उसका उपयोग परोपकार में करो। संपत्ति का अच्छे मार्ग में उपयोग हो तो चाहे जितने बिध्न आयें, मन की स्थिरता बनी रहेगी। पैसे का सदुपयोग न हो तो मरने तक शांति नहीं मिलती। संपत्ति को जो मौज-शौक में नष्ट करे, वह राक्षस है। संपत्ति में जो होश-हवास भुला देता है। वह दरिद्री होने तक बेहोश रहता है। संपत्ति में होश मत खोना और विपत्ति में रोना नहीं। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।