संसार के सुखों से मन हटा लेना ही है सुख: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री दत्तात्रेय जी कहते हैं कि पाँच जीवों से मैंने शिक्षा लिया। मनुष्य के शरीर में पांच ज्ञानेंद्रियाँ हैं और पांच कर्मेंद्रियां हैं। पांच ज्ञानेंद्रियों के पांच विषय ही व्यक्ति को नीचे ले जाते हैं। इनके लिए ही व्यक्ति को परेशान होना पड़ता है। मृग को शब्द का व्यसन होता है। बहेलिया वीणा बजा कर मृग को मुग्ध करता है और फिर बाण से मार देता है। रात में दीपक जलता है तो उसकी सुंदरता को पतंगे आकर गले लगाते हैं और जलकर मर जाते हैं। यह आंख का व्यसन होता है। भ्रमर सुगंधि लेने जब कमल के पुष्प में जाता है, तब सायंकाल को कमल में बंद हो जाता है और भ्रमर सोचता है कि सूर्योदय होगा तो उड़ जाऊंगा लेकिन बीच में ही हाथी आता है, कमल को तोड़ ले जाता है और भ्रमर बीच में ही सुगंधि के लोभ से मारा जाता है। मछली जीभ के स्वाद में मारी जाती है। हाथी वासना के चक्कर में मारा जाता है। हाथी को पकड़ने वाले गड्ढा खोदकर ऊपर घास डाल देते हैं और कागज की हथिनी बनाकर खड़ी कर देते हैं। पागल कामान्ध होकर हाथी आता है, पैर रखते ही नीचे गड्ढे में गिर जाता है। भूखे-प्यासे हाथी को मारपीट कर अपने बस में कर लेते हैं। दत्तात्रेय भगवान कहते हैं कि एक-एक विषय के चक्कर में फंसकर ये पाँचो जीव बिना मौत के मारे जाते हैं। इंसान पांचों के बस में है। वह व्यक्ति शांति से कैसे जी सकता है? इन पांचों विषयों से जब मन हट जाता है, तब व्यक्ति की जिंदगी में शांति ही शांति है। संसार के सुखों से मन हटा लेना ही सुख है। जो संसार के सुख की इच्छा नहीं रखेगा, वह सदा सुखी रहेगा, और जो संसार के सुखों की बहुत ज्यादा इच्छा रखेगा, वह सदा दुःखी रहेगा। क्योंकि जो इच्छा की जाये, वह मिल जाये, जरूरी तो नहीं और जब तुम्हारी चहेती बस्तु तुम्हें नहीं मिलेगी तब सुख मिलेगा या दुःख मिलेगा? यदि चाहा ही नहीं है, तब दुःख कहां से आयेगा? दुःख तो चाह के बाद है। हम किसी वस्तु को चाहते हैं और वह हमें नहीं मिल रही, बस यही दुःख है। इसीलिए संतो ने कहा- चाह चमारी चूहड़ी, सौ नीचन सो नीच। तू तो पूरन ब्रह्म था, चाह न होती बीच।। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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