15 वर्ष बाद बढ़ेगी प्राइवेट बैंकों में प्रमोटरों की न्यूनतम होल्डिंग

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में प्रमोटरों की न्यूनतम शेयरहोल्डिंग को बढ़ाने पर राजी हो गया है। आरबीआई पैनल ने इसे 15 प्रतिशत की सीमा से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने की अनुमति देने को समर्थन दिया है। बता दे कि प्राइवेट बैंकों में प्रमोटरों की न्यूनतम होल्डिंग पूरे 15 साल बाद बढ़ाई जाएगी। आरबीआई के मौजूदा नियमों के मुताबिक एक निजी बैंक के प्रमोटर को 10 साल के भीतर अपनी हिस्सेदारी घटाकर 20 फीसदी और 15 साल के भीतर 15 फीसदी करने की जरूरत है। केंद्रीय बैंक ने निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए स्वामित्व दिशानिर्देशों और कॉरपोरेट संरचना पर रिपोर्ट जारी करते हुए शुक्रवार को कहा कि 15 साल के लंबे समय में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी की सीमा, बैंक की चुकता वोटिंग इक्विटी शेयर पूंजी के 15 प्रतिशत के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर 26 प्रतिशत की जा सकती है। प्रवर्तकों की प्रारंभिक शेयरधारिता के लिए अनिवार्य लॉक-इन अवधि पर, रिपोर्ट शुरुआती लॉक-इन जरूरतों से संबंधित मौजूदा निर्देशों में किसी बदलाव का समर्थन नहीं करती है, जो कि पहले पांच वर्षों में बैंक की चुकता वोटिंग इक्विटी शेयर पूंजी के न्यूनतम 40 प्रतिशत के रूप में जारी रह सकती है। इस बीच सरकारी स्वर्ण बॉन्ड योजना 2021-22 के लिए मूल्य दायरा 4,791 प्रति ग्राम तय किया गया है। बांड के लिए आवेदन 29 नवंबर से पांच दिनों तक दिया जा सकेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। स्वर्ण बॉन्ड योजना 2021-22 की यह आठवीं किस्त है। यह 29 नवंबर को खुलेगी और तीन दिसंबर को बंद होगी। आरबीआई ने कहा कि बांड का निर्गम मूल्य 4,791 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है।

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