नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में भाजपा सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के साथ नए सिरे से जमीनी स्तर पर सियासी लड़ाई लड़ेगी। रविवार को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इससे जुड़ी रणनीति का तानाबाना बुना गया और समर्थकों का मनोबल बनाए रखने के लिए कई तरह के कार्यक्रम तय किए। इसके तहत राज्य सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन और कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया गया। यह भी तय हुआ कि राजनीतिक हिंसा के शिकार पार्टी कार्यकर्ताओं-समर्थकों को पार्टी के स्तर पर कानूनी मदद उपलब्ध कराई जाएगी। अपने अध्यक्षीय भाषण में जेपी नड्डा ने खासतौर पर पश्चिम बंगाल की स्थिति की बार-बार चर्चा की। अध्यक्षीय भाषण के बाद उपचुनाव के निराशाजनक नतीजे, पार्टी नेताओं का थोक के भाव सत्तारूप तृणमूल कांग्रेस में वापसी और राजनीतिक हिंसा पर चर्चा हुई। चर्चा में तय किया गया कि वर्तमान में सबसे अधिक जरूरी समर्थकों का मनोबल हर हाल में बनाए रखने की है। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में जीत हासिल न करने के बाद भाजपा को राज्य से एक भी सुखद संदेश नहीं मिले हैं। मुकुल राय, बाबुल सुप्रियो सहित कई दिग्गज नेता टीएमसी में जा चुके हैं। चार सीटों पर हुए हालिया विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को तीन सीटों पर अपनी जमानत गंवाने के साथ अपनी दो सीटें गंवानी पड़ी। पार्टी का वोट प्रतिशत गिर कर 15 फीसदी रह गया। इसके बाद से ही पार्टी नेतृत्व बंगाल की स्थिति को ले कर बेहद चिंतित है।