नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा पर सर्विलांस के लिए बीएसएफ की देशी तकनीक ने महंगे विदेशी उपकरणों को मात दे दी है। देशी तकनीक बीएसएफ के लिए खासी मददगार साबित हो रही है। इस तकनीक में एंटी टनल सोल्यूशन, आईईडी का पता लगाना व घनी धुंध में बॉर्डर की चौकसी के लिए उपकरण आदि शामिल हैं। बीएसएफ के डीजी पंकज सिंह बताते हैं कि सीमा से सटे इलाकों में पहले से हाई टेक्नोलॉजी वाले जो उपकरण लगाए जा रहे हैं, उन पर काम जारी रहेगा। बीएसएफ ने अपने स्तर पर और स्वदेशी तकनीक के माध्यम से सर्विलांस शुरु किया है। अगर विदेशी उपकरण खराब हो जाता है, तो उसे ठीक कराने में लंबा वक्त लगता है। कई बार एक ही पुर्जा आने में महीनों लग जाते हैं। अब बीएसएफ ने देश में मौजूद सर्विलांस उपकरणों की मदद ली है। इसका बड़ा फायदा हुआ है। व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली, जिसे लगाने के काम में बहुराष्ट्रीय कंपनियां लगी हैं, वह महंगा भी है। बॉर्डर सर्विलांस के लिए अब कम खर्चीले एवं स्वदेशी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है।तीन-चार वर्ष पहले बीएसएफ में व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) का ट्रायल शुरू हुआ था। इस तकनीकी सिस्टम को पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा पर लगाया जा रहा है। इसका बड़ा फायदा यह है कि इसकी मदद से खराब मौसम, धुंध व बर्फबारी के दौरान व्यक्ति, पशु-पक्षी और अन्य किसी उपकरण की तस्वीर बिल्कुल साफ नजर आती है। ये सिस्टम अमूमन वहां पर लगता है, जहां नदी, नाले और पहाड़ हैं। ऐसे क्षेत्रों में फेंसिंग भी ज्यादा कारगर साबित नहीं होती। सीआईबीएमएस, इस्राइली तकनीक पर आधारित सिस्टम है। तीन साल पहले असम के धुबरी जिले में व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली की शुरुआत की गई थी। इस तकनीक में इलेक्ट्रॉनिकली क्यूआरटी इंटरसेप्शन टेक्नोलॉजी के जरिए बॉर्डर की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।