नवरात्रि। भारत और सनातन धर्म अपनी विशेषता के लिए समूचे विश्व जगत में जाना जाता है और शायद इसलिए भी भारत को पर्वों का देश कहा जाता है। भारत देश की एक विशेषता यह भी रही है कि अन्य कुछ देशों के तर्ज़ पर यहां धर्म किसी पर थोपा नहीं जाता, बल्कि यहां प्रत्येक नागरिक को अपनी श्रद्धानुसार पूजा-अर्चना करने की पूरी स्वतंत्रता है।
क्या है चैत्र नवरात्रि
नवरात्रि के पर्व का समापन राम नवमी के साथ होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि की रामनवमी 30 मार्च (बृहस्पतिवार) को मनाई जा रही है। चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा कर कन्या पूजन किया जाता है और फिर हवन के बाद व्रत का पारण करते हैं। मान्यता है कि जो नवरात्रि के 9 दिन व्रत-पूजन न कर पाए हों, वह नवमी तिथि पर विधि-विधान से देवी की उपासना कर लें तो उन्हें नौ दिन की पूजा का फल प्राप्त होता है, इसलिए इस दिन को महानवमी कहा जाता है।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्रीराम का जन्म त्रेता युग में वासंतिक नवरात्र के नौवें दिन हुआ था। भगवान श्रीराम मध्य दोपहर में कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में पैदा हुए थे। भगवान राम के जन्म की इस तारीख का जिक्र रामायण और रामचरित मानस जैसे तमाम धर्मग्रंथों में पाया जाता है। भगवान श्रीराम को भगवान विष्णु का सातवां अवतार भी माना जाता है। चैत्र नवरात्रि को लेकर एक पौराणिक मान्यता यह भी है कि जिस समय राम और रावण का युद्ध चल रहा था, उसी समय रावण पर विजय पाने के लिए भगवान श्री राम ने देवी दुर्गा का अनुष्ठान किया था। यह पूजा अनुष्ठान पूरे 9 दिनों तक चला था। जिसके बाद मां दुर्गा ने भगवान श्री राम के सामने प्रकट होकर उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया था। वहीं, दसवें दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर विजय हासिल की थी।
सनातन धर्मग्रन्थ और पुराणों के अनुसार प्रभु श्री राम सर्वव्यापी हैं। एक मान्यता यह भी है कि राम नवमी पर भगवान राम की पूजा करने से यश और वैभव की प्राप्ति होती है, सर्व कार्य सिद्ध होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है।
इस दिन राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से जीवन की हर चीजें अनुकूल होने लगती है। इस बात की पुष्टि करती यह पंक्तियाँ हैं…
“बोले बिहसि महेस तब ग्यानी मूढ़ न कोइ।
जेहि जस रघुपति करहिं जब सो तस तेहि छन होइ।”
जिसका यथार्थ यह है कि प्रभु श्रीराम की मर्जी के बिना कुछ भी सम्भव नहीं है।