रेलवे। भारतीय रेलवे हर दिन एक नया इतिहास रच रही है। बारामूला रेल लाइन परियोजना के लिए जहां एक तरफ दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज तैयार हो चला है तो दूसरी और भारत का पहला केबल रेल ब्रिज अंजी खंड रेल पुल भी इसी लाइन पर बन रहा है और इसका निर्माण कार्य भी लगभग पूरा कर लिया गया है। जबकि इस पुल के लिए कई डेडलाइन पार हो चुकी हैं लेकिन इस बार मई तक इसका काम खत्म हो जाने की उम्मीद है। इस पुल का निर्माण जम्मू-कश्मीर के रियासी में अंजी नदी के ऊपर किया जा रहा है। यह पुल जमीन से करीब 331 मीटर की ऊंचाई पर बनाया जा है।
बताया जा रहा है कि इस पुल को इतना मजबूत बनाया गया है कि यह 216 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को भी झेल सकता है। इस पुल पर ट्रेन 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी। यह पुल केवल एक पिलर पर खड़ा है। तथा इस पिलर के ऊपर ही V आकार का एक टावर खड़ा किया गया है जिससे केबल के जरिए बाकी पुल को सपोर्ट दिया जा सके । नदी की सतह से इस टावर के शीर्ष तक की ऊंचाई लगभग 77 मंजिल की इमारत (1086 फुट) जितनी ऊंची है। कई तस्वीरो में तो ऐसा लग रहा है कि यह पुल ऊपर है और बादल नीचे ।
कश्मीर को भारत के अन्य हिस्सों से जोडना आसान
इस पुल का निर्माण कश्मीर को जम्मू व भारत के अन्य हिस्सों से आसानी से जोड़ने के लिए किया जा रहा है। इसका निर्माण उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल परियोजना के तहत किया जा रहा है। इसी परियोजना के तहत चेनाब नदीं के ऊपर भी रेल पुल का निर्माण हो रहा है जिसका हाल ही में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने निरीक्षण किया था इसे 400 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है।
2002 की ये योजना
उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल परियोजना लगभ्ग 20 साल पुरानी है। इसे सबसे पहले 2002 में बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान सामने लाया गया था। जबकि, पर्यावरण व कई अन्य चुनौतियों से निपटने में इस पुल को करीब 20 साल लग गए।
326 किमी लंबा प्रोजेक्ट
यह पूरा प्रोजेक्ट 326 किलोमीटर लंबा है और 215 किलोमीटर तक काम पूरा हो चुका है। यह रास्ता जम्मू, कटरा, बनिहाल से होकर बारामुला तक जा रहा है। कटरा और बनिहाल वाले 111 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में अभी काम चल रहा है। पुल के अलावा इस रास्ते में कई टनल भी बनाये जा रहे हैं। जबकि केवल कटरा-बनिहाल सेक्शन में ही 27 टनल हैं। दरअसल, सुरंगों बनाने के लिए कोई अप्रोच सड़क न होने के कारण भी इस प्रोजेक्ट का बहुत समय खर्च हुआ था। 2008-2016 तक इस रास्ते पर कुल 205 किलोमीटर की अप्रोच रोड बनायी गईं।