CRPF : नक्सल विरोधी अभियानों में सीआरपीएफ के कोबरा कमांडों ने जबरदस्त वीरता का प्रदर्शन किया। इसके साथ ही राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुए वीरता पुरस्कार समारोहों में सात कोबरा कमांडों को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया। ऑपरेशन सिंदूर में जवानों ने नक्सलियों के खिलाफ गजब की बहादुरी और जीवटता दिखाते हुए नक्सलियों के किले को भेद दिया। जवानों की इस बहादुरी का ही नतीजा है कि नक्सली अब अपने गढ़ में ही घिर गए हैं।
नक्सलियों के गढ़ को भेदा
जानकारी के मुताबिक, सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन 201 के कॉन्सटेबल पवन कुमार और कॉन्सटेबल देवन सी को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। बताया गया कि दोनों जवान छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के गढ़ में नया बेस स्थापित करने की कोशिश के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए, जिसके दौरान उन्होंने अपनी कोशिशों से नक्सलियों के पैर फेंके। दोनों जवानों के परिजनों को शौर्य चक्र दिए गए। सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन 201 को 150वीं बटालियन के साथ इस जगह सुरक्षाबलों का फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस बनाने का लक्ष्य दिया गया।
ऑपरेशन के दौरान हुए जवान बलिदान
इसी दौरान 30 जनवरी 2024 को ऑपरेशन के तहत कॉन्स्टेबल पवन कुमार और अन्य जवान नक्सलियों द्वारा की जा रही भारी गोलीबारी में फंस गए। लेकिन जवानों ने बहादुरी दिखाते हुए पीछे हटने से इनकार कर दिया और दुश्मनों को मार गिराया। ऑपरेशन के दौरान पवन कुमार और देवन सी ने अपनी जान की परवाह न करते हुए आगे बढ़ने का फैसला किया।
ऑपरेशन में शामिल रहे ये ऑफिसर
जानकारी के अनुसार, दोनों को नक्सलियों की गोलियों का निशाना बनाया गया। इसी दौरान दोनों को बहादुरी के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। इसी ऑपरेशन में शामिल डिप्टी कमांडेंट लखवीर , असिस्टेंट कमांडेंट राजेश पांचाल और कॉन्सटेबल मलकीत सिंह को भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। जानकारों ने दौरान लखवीर सिंह एक बम धमाके की चपेट में आकर घायल हुए। इस अदम्य साहस के लिए इन जवानों को शांतिकाल के तीसरे सबसे बड़े सम्मान शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
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