नई दिल्ली। एक ओर जनसंख्या बढ़ोतरी हो रही है उससे एक ओर जहां कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो रही है वहीं दूसरी ओर देश में लगातार घटते रोजगार ने जीवन में गंभीर संकट ला दिया है। इधर करीब तीन साल से चली आ रही कोरोना महामारी का रोजगार पर सबसे व्यापक असर पड़ा है। इसके चलते देश एकाएक बेरोजगारी की जद में आ गया जिससे निपटना एक बड़ी चुनौती बन गई है।
देश में एक करोड़ से अधिक रोजगार घटा। आर्थिक थिंक टैंक सेन्टर फार मानिटरिंग इण्डियन इकोनामी (सीएमआईई) ने बेरोजगारी को लेकर जो आंकड़ा जारी किया है जो हिला देने वाला है। आंकड़ों के अनुसार जून 2022 में देश में रोजगार में एक करोड़ से अधिक की गिरावट आई है। श्रम भागीदारी दर जून में अपने निम्न स्तर 38.8 प्रतिशत पर पहुंच गई जो उससे पहले के दो महीनों में 40 प्रतिशत पर रही।
वेतन भोगी नौकरियों की संख्या में करीब 25 लाख की गिरावट दर्ज की गई है। मई के महीने में भारतीय बेरोजगारी दर 7.12 प्रतिशत थी लेकिन जून में श्रम आंकड़े बेहद निराशाजनक रहे। रोजगार 40.4 करोड़ से घटकर 39.0 करोड़ रह गया था। इससे पता चलता है कि जून में श्रम बाजार के सिकुड़ने से जून में बेरोजगारी दर 7.80 प्रतिशत पहुंच गई।
देश में आईटी कम्पनियों ने भी 75 प्रतिशत नियुक्तियां घटा दी हैं। बेरोजगारी के मामले में हरियाणा जहां 30.6 प्रतिशत के साथ नम्बर एक पर है वहीं सबसे कम बेरोजगारी वाला राज्य पश्चिम बंगाल बन गया है। देश में रोजगार का घटना न तो जनता के और न ही देश की अर्थव्यवस्था के हित में है। बेरोजगारी सबसे बड़ी सामाजिक समस्या है और इसका सीधा सम्बन्ध सामाजिक विरोधी कार्यों से है।
ऐसे में रोजगार के अवसर को बढ़ाना और लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है। केन्द्र और राज्य सरकारों को युद्ध स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित करने ही होंगे। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए लोगों को रोजगार से जोड़ना बहुत जरूरी है अन्यथा आगे के दिनों में कई प्रकार की विकट समस्यांए पैदा हो सकती है। लगातार बढ़ रही महंगाई और घटती आमदनी का असर युवाओं पर पड़ रहा है जिससे वह डिप्रेशन की ओर जा रहे है।