आस्था। भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। इस बार ये त्योहार 18 अगस्त को मनाया जाएगा। प्रत्येक वर्ष भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में ये पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत रखते हैं और रात में 12 बजे कान्हा के जन्म के बाद उनकी पूजा करके व्रत का पारण करते हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के पकवान अर्पित किए जाते हैं। उन्हें झूला झुलाया जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हे नहीं करना चाहिए। वरना कृष्ण जी की कृपा प्राप्त नहीं होती है और पूजा का पूर्ण फल भी प्राप्त नहीं होता है। आइए जानते हैं उन कार्यों के बारे में-
तुलसी पत्तियां न तोड़ें :-
श्री कृष्ण जी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं और तुलसी विष्णु जी को बेहद प्रिय हैं। इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भूलकर भी तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़नी चाहिए। पूजा में कृष्ण जी को अर्पित करने के लिए एक दिन पहले ही तुलसी तोड़ कर रख लेनी चाहिए, क्योंकि तुलसी के पत्तों को बासी नहीं माना जाता है।
चावल न खाएं:-
जिस तरह से एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया है, ठीक उसी तरह से जन्माष्टमी के दिन भी चावल खाना वर्जित है। यदि आप व्रत नहीं रख रहे हैं तो भी चावल नहीं खाना चाहिए।
गाय को नहीं सताना चाहिए :-
कान्हा को गाय बेहद प्रिय हैं। बचपन में वे ग्वाल-बाल के साथ गाय चराने जाया करते थे। इसलिए जन्माष्टमी या किसी भी दिन गाय एवं बछड़े को भूलकर भी न मारें, नहीं तो कृष्ण जी रुष्ट हो जाते हैं। गायों की सेवा करने से कृष्ण जी प्रसन्न होते हैं।
न करें किसी का अपमान :-
भगवान कृष्ण के लिए अमीर-गरीब सभी भक्त एक समान हैं, इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भूलकर भी किसी का अनादर या अपमान न करें। किसी भी गरीब का अपमान करने से श्री कृष्ण नाराज हो जाते हैं।
सात्विक भोजन करें :-
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इस दिन भोजन में लहसुन, प्याज का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि लहसुन प्याज को तामसिक श्रेणी में रखा जाता है। साथ ही इस दिन भूलकर भी मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए।