कृषि क्षेत्र से होने वाले उत्सर्जन को कम करने का भारत ने किया वादा…

नई दिल्ली। भारत उन 27 देशों में शामिल है, जिन्होंने कॉप26 जलवायु समिट में कृषि क्षेत्र से होने वाला उत्सर्जन कम करने का वादा किया है। पीएम मोदी ने अपने ग्लासगो दौरे पर भारत के संपूर्ण कार्बन उत्सर्जन कम करने के साथ यह एक और वादा किया था, जिसके लिए अलग से कृषि नीति की भी जरूरत होगी। हालांकि, भारत की तरफ से अभी तक कोई चर्चा भी शुरू नहीं हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कोपेनहेगन से लेकर पेरिस और अब ग्लासगो में हुई कॉप26 समिट के लिए भारत ने कृषि क्षेत्र से होने वाले उत्सर्जन को कम करने की नीति को ज्यादातर नजरअंदाज ही किया है। हालांकि कृषि नीतियों को देखने वाले एक उच्च अधिकारी ने कहा कि भारत इस ओर सही नीति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उधर विश्लेषकों का कहना है कि यह करना काफी मुश्किल है, क्योंकि इससे किसानों के जीवनयापन के साथ खाद्य सुरक्षा पर भी असर पड़ता है। वैश्विक स्तर पर कृषि क्षेत्र इस वक्त कुल ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में एक-तिहाई हिस्से का जिम्मेदार है। भारत का कृषि क्षेत्र फिलहाल कुल ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 14 फीसदी का हिस्सेदार है। उधर बिजली और उत्पादन क्षेत्र क्रमशः 44 फीसदी और 18 फीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण मंत्रालय के डेटा के मुताबिक 2016 में चावल की खेती से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करीब 7.13 करोड़ टन रहा था। जानकारों का मानना है कि 2018-19 के बीच यह उत्सर्जन बढ़कर 7.23 करोड़ टन तक पहुंच गया होगा।

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