घाटी में पहली बार हुई केसर की खेती

जम्मू-कश्मीर। घाटी में केसर की खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई नई योजनाएं और तकनीकें शुरू की हैं। पिछले वर्ष मई में शुरू की गई जीआई टैगिंग और प्रोसेसिंग की नई तकनीक से कश्मीर के केसर की गुणवत्ता दुनिया भर में नंबर-वन पर पहुंचाने के अलावा अब कश्मीर की स्कॉस्ट यूनिवर्सिटी ने किसानों को केसर की आंतरिक खेती (इंडोर कल्टीवेशन) से पहली बार रूबरू कराया है। विशेषज्ञों का मानना है कि गुणवत्ता के साथ-साथ अब क्वांटिटी पर भी इस तकनीक से लाभ होगा। इस तकनीक को अपनाने वाले किसानों को अच्छे नतीजों की उम्मीद है। अगर सामान्य खेती की बात करें तो पिछले वर्ष की तुलना में 50 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी हुई है। सैफरन ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल मजीद वानी ने केसर की इंडोर कल्टीवेशन को अपनाया है। उन्होंने अमर उजाला के साथ विशेष बातचीत में बताया कि इस तकनीक को पहली बार अपनाया गया है। फसल काफी अच्छी हुई है, आने वाले एक-दो दिन में इसे तोड़ेंगे। बताया कि सामान्य खेती से काफी ज्यादा फायदे हैं इस तकनीक के। वानी ने कहा कि पहला फायदा यह कि अगर किसी के पास काम जमीन है तो वो इस तकनीक को अपना सकता है, दूसरा फायदा कि जमीनें कम हो रही है इसलिए वर्टिकल फार्मिंग से पांच गुना अधिक पैदावार इस तकनीक से ले सकते हैं, जिसमें मेहनत कम है। और तीसरा फायदा यह कि तकनीक से उगाई गई फसल की गुणवत्ता सामान्य खेती से काफी ज्यादा है।

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