नई दिल्ली। देश में चल रही तमाम दुश्वारियों के बीच प्राकृतिक आपदाओं ने राज्यों की मुसीबत बढ़ा दी है। देश के पूर्वोत्तर राज्यों में हो रही अत्यधिक वर्षा के कारण कई नदियां जहां उफान पर है, वहीं बाढ़ और भूस्खलन से 131 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई है।
असम में पिछले 24 घण्टों में दस लोगों की मौत हो गई और सात से अधिक लोग लापता बताए जा रहे हैं, जबकि लाखों लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में भी हालात कुछ अलग नहीं है। भूस्खलन के चलते सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं और गांवों में पानी भर गया है।
औसत से अधिक वर्षा स्थिति को और विषम बना रही है। मेघालय में बीते एक सप्ताह में सामान्य से 172 प्रतिशत और असम में सौ प्रतिशत अधिक वर्षा ने बाढ़ की विभीषिका को और बढ़ा दिया है। भारी वर्षा के चलते गुवाहाटी के कई इलाकों और दीमा हसाओ, गोलपारा, होजर्ड, कामरूप में भूस्खलन ने लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है।
हालांकि लोगों की सहायता के लिए राहत शिविरों के अलावा विभिन्न स्थानों पर भोजन और दवा वितरण के लिए केन्द्र खोले गए हैं और लोगों की मदद की जा रही है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, अग्निशमन और आपातकालीन सेवा के जवान, पुलिस और स्वयं सेवक युद्ध स्तर पर प्रभावित क्षेत्रों में निकासी अभियान चला रहे हैं, लेकिन भारी वर्षा से राहत कार्य प्रभावित हो रहा है।
राहत और बचाव कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है और तीन राज्यों के प्रमुख एक- दूसरे के सम्पर्क में हैं और हर सम्भव मदद लोगों तक पहुंचाई जा रही है लेकिन लोगों का बाढ़ और भूस्खलन से बहुत नुकसान हुआ है। इसके आकलन के लिए केन्द्र से टीम भी भेजी जा रही है और केन्द्र सरकार पूरी तरह नजर बनाए हुए है, जो राहत की बात है। केन्द्र को बाढ़ प्रभावित राज्यों को विशेष पैकेज देने की जरूरत है। समय समय पर इन्हे सही निर्देश दे कर राहत कार्य को और मजबूत करने पर लोगों को बहुत मदद मिलेगी।