हरियाणा में नहीं बढ़ेगा झा आयोग का कार्यकाल

हरियाणा। हरियाणा में झा आयोग का कार्यकाल बढ़ाने से गृह विभाग ने इनकार कर दिया है। आयोग का कार्यकाल आगामी 31 अक्टूबर तक है। इस समय अवधि में ही आयेाग को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी। गृह विभाग ने आयोग का कार्यकाल न बढ़ाने के पहले ही सवाल जवाब किए थे। जिसके बाद सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने भी अपना तर्क दिया था लेकिन गृह मंत्री अनिल विज ने आयोग का कार्यकाल बढ़ाने पर आपत्ति दर्ज करवा दी। फाइल लंबी चली जिसके बाद गृह मंत्री मुख्यमंत्री को सहमत करने में सक्षम रहे और आयोग के कार्यकाल बढ़ाने पर विराम लगा दिया गया। जानकारी के मुताबिक जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के बाद जांच में जुटे आयोग का कार्यकाल कई बार बढ़ाया जा चुका है। गृह मंत्री अब इस मामले में निष्कर्ष पर आना चाहते हैं। पिछली बार जब आयोग ने समय सीमा बढ़ाने की पेशकश की थी। तब इस फाइल पर गृह मंत्री ने पूछा था कि ऐसा क्यों किया जाए। उन्होंने इस पर टिप्पणी भी की है कि क्या कारण है कि बार-बार आयोग की समय सीमा बढ़ाई जा रही है। गठन के बाद से ही अब तक कई बार आयोग का समय बढ़ाया जा चुका है। हरियाणा में वर्ष 2016 में आरक्षण की मांग को लेकर जाट समुदाय ने आंदोलन शुरू किया था लेकिन अचानक इस आंदोलन ने नेतृत्वहीन होकर हिंसा की शक्ल ले ली थी। इसकी वजह से चार दिन तक प्रदेश के आठ जिलों में तोड़फोड़ और लूटपाट हुई थी। इस दौरान संपत्ति का भी काफी नुकसान हुआ और 32 लोगों की मौत हो गई थी। इस पूरे मामले में आंदोलन के दौरान राज्य सरकार के अफसरों और कर्मचारियों की भूमिका की पड़ताल के लिए यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की अगुवाई में कमेटी बनाई थी। कमेटी ने 13 मई, 2016 को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसमें अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे जिसके बाद कई अफसरों पर गाज गिरी थी। कुछ वक्त बाद प्रकाश सिंह कमेटी पर विवाद खड़ा हो गया। इस पर विपक्ष की ओर से कई सवाल खड़े किए गए।

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