लाइफस्टाइल। आज के दौड़-भाग से भरी लाइफ में हर किसी को किसी न किसी बात की टेंशन होती ही है ऐसे में कुछ लोग डिप्रेशन के शिकार हो जाते है। इस समय ज्यादातर छात्र मेंटल हेल्थ और डिप्रेशन का इतनी जल्दी शिकार हो जाते हैं कि पता ही नहीं चलता कब वह गलत कदम उठा लेते हैं। रिसर्च में पाया गया है कि इसके पीछे पढ़ाई-लिखाई का दबाव, रिश्ते, परिवार जैसे कई कारण से छात्र परेशान होते है जिनसे छुटकारा पाने के लिए वो आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं। इसी के चलते जयपुर की राजस्थान यूनिवर्सिटी के लाइफ लॉन्ग लर्निंग विभाग की ओर से प्रो युथ मेंटल इनीशिएटिव कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम को आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य छात्रों द्वारा एक्सट्रीम कदम उठाने से रोकने के लिए और उन्हें सही रास्ता दिखाना है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर राजीव जैन ने दीप जलाकर किया। इस अवसर पर मनोचिकित्सक डॉ. शिव गौतम सहित अनेक वक्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम में छात्रों को कैसे इस तरह के मानसिक अवसाद से बचाया जाए इसको लेकर उपाए बताए गए और उनकी काउंसलिंग के बेहतर तरीके बताए गए।
छात्र हो रहे अवसाद का शिकार
एक रिपोर्ट में डॉ. शिव गौतम बताया कि बदलती लाइफस्टाइल के दौर से छात्र मानसिक अवसाद का ज्यादा शिकार हो रहे हैं। ऐसे में इस वर्कशॉप को करना यूनिवर्सिटी के लिए प्रशंसनीय काम है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा आज के दौर में छात्र थोड़ी सी भी तनाव झेलने की क्षमता नहीं है। जरा सा तनाव होते ही या तो वह मन में आत्महत्या जैसे कदम के बारे में सोचने लगते है या फिर नशीले पदार्थो का सेवन करने लगते है। यह दोनों ही रास्ते आज के युवाओं के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं।
दिए गए कई सुझाव
प्रो यूथ मेंटल इनीसिएटिव कार्यक्रम में कई तरह के सुझावो के बारे में बताया गया। इस दौरान प्रोफेसर ने बताया कि छात्रों को सुबह शाम अपने दोस्तों के साथ समय व्यतीत करना चाहिए, घर वालों से समय-समय पर फोन पर या मिलकर बात करनी चाहिए। इसी के साथ घर परिजनों को भी अपने बच्चे पर पूरी नजर रखनी चाहिए,यदि उसकी बातों से कभी भी तनाव जैसी स्थिति का मालूम चले तो तुरंत बैठ कर बात करनी चाहिए या फिर किसी अच्छे मनोचिकित्सक से काउंसलिंग करवानी चाहिए। छात्र तनाव में नहीं आए इसके लिए उन्हें स्पोर्ट्स एक्टिविटी के साथ-साथ योग भी करना चाहिए और अपने मन की बात शेयर करनी चाहिए।