लखनऊ। लखनऊ में युवा दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया वैज्ञानिक प्रगति के साथ-साथ अवसाद से घिरती जा रही है। मनोरोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है। दुनिया के देशों में विलगाव इसके उदाहरण हैं। मानव आत्मिक सुख को ऐसे ढूंढ रहा है जैसे कोई मृग जंगल में कस्तूरी ढूंढता फिरे। यह मानवता के लिए खतरनाक है। रक्षामंत्री ने कहा कि भारत का वैदिक ज्ञान ही इस युग में मानवता का पथ प्रदर्शन कर सकता है। स्वामी विवेकानंद ने सनातन धर्म को पूरी दुनिया में फैलाया। उनके बाद विश्व स्तर पर महेश योगी ने सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार किया। मानवता के समक्ष जब जब संकट आया तब-तब समाज में ऐसे युगपुरुषों का आगमन हुआ, जिन्होंने देश को राह दिखाई है।
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल की आध्यात्मिक गंगा को महर्षि महेश योगी ने समृद्ध किया। वैदिक साहित्य के माध्यम से महेश योगी के संकल्प की आज दुनिया में आवश्यकता बढ़ती जा रही है। भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार कुमारी भट्ट व आचार्य शंकर का स्मरण कराता है। वह समाज में बढ़ती अज्ञानता को लेकर दुखी होते थे। कुमारी भट्ट को काशी में एक रानी वैदिक धर्म के उत्थान के लिए चिंतन करती मिली। तब कुमारी भट्ट ने कहा कि मैं यह काम करूंगी। उन्होंने पूरे विश्व को बताया कि सम्पूर्ण ज्ञान वेदों में हैं। आगे चलकर उनके इस संकल्प को शंकराचार्य द्वारा पूर्णता प्राप्त कराई गई।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे आपका मन बड़ा होता जाएगा अध्यात्म का स्तर बढ़ता जाएगा। संसार में फूल, जल और फल सबका अपना धर्म है। वह अपना धर्म त्याग दे तो अस्तित्व खो देगा। ऐसे ही मनुष्य का धर्म है सत्कर्म, दया और मानवता। यदि वह अपना धर्म खो देंता है तो अस्तित्व पर संकट आएगा। उन्होंने कहा कि हमने कुछ ऐसे लोग देखे हैं जो खुद को नास्तिक कहलाना पसंद करते हैं लेकिन आंतरिक कर्मो से बड़े धार्मिक होते हैं। आत्मा व परमात्मा से मनुष्य कितना जुड़ पाता है यह उसकी अध्यात्म वृत्ति से ही पता लगता है।