पैरेंटिंग। अगर आप वर्किंग वूमन हैं और अपने बच्चे को डे केयर या किसी रिश्तेदार, पड़ोसी के पास छोड़कर काम पर जाती हैं तो आप ऐसा अकेले करने वाली महिला नहीं हैं। दरअसल, आजकल की भागमभाग दुनिया में महिलाओं के लिए यह मजबूरी बन चुकी है। बच्चे, परिवार और खुद के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें अपने दिल पर पत्थर रखकर काम के लिए निकलना पड़ता है और खुद को बात-बात पर मोटिवेट करना पड़ता है। लेकिन, कई महिलाएं अपराधबोध में दब जाती हैं और बच्चे की सही परवरिश ना कर पाने के लिए खुद को जिम्मेदार मानती हैं। यह अपराधबोध महिलाओं को आगे नहीं बढ़ने देता और वे हर दिन गिल्ट के साथ घर से बाहर जाती हैं।
जब भी आप अपने बच्चे के लिए केयर गिवर चुनें तो कुछ सवालों का जवाब पहले ही ढूंढ लें। मसलन, आपका और केयर गिवर का पैरेंटिंग स्टाइल एक जैसा है या नहीं। क्या उन्हें फर्स्ट एड की जानकारी है, क्या वे वैक्सीनेटेड हैं, क्या वे बच्चे के रूटीन को सही तरह से पूरा करेंगे, क्या उनसे बातचीत करने में आप सहज होंगे आदि। जब आप सभी सवालों से संतुष्ट हो जाएं, तभी केयर गिवर को चुनें।
घर से निकलने से पहले करें ये काम :-
बच्चे के साथ या जो इंसान आपके बच्चे की देखभाल कर रहा है उससे बात अवश्य करें। बच्चे से उनके डेकेयर के बारे में कुछ सकारात्मक बातें करें। उनके दोस्तों के बारे में एक्साइटेड होकर पूछें। बेहतर होगा कि आप डेकेयर स्टाफ के साथ दोस्ती कर लें जिससे आप उनसे अपनी समस्या और फीलिंग को खुलकर बात कर पाएं और आवश्यकता पड़ने पर मदद कर पाएं।
खुद की फीलिंग्स को समझें नॉर्मल :-
अगर आपको बच्चे के लिए एंग्जायटी या स्ट्रेस हो रहा है तो अच्छा होगा कि आप खुद की फीलिंग को स्वीकारें। खुद से बात करें और यह समझें कि हर मां को ऐसे मुश्किल दौड़ से गुजरना पड़ता है।
खुद से करें सकारात्मक बात :-
नकारात्मक सोच आपको और ज्यादा परेशान कर सकते है। इसलिए बेहतर होगा कि आप कुछ अच्छा सोचें। जैसे- आपका बच्चे सेफ हैंड में है, मैं अच्छा पेरेंट हूं, मुझे केवल खुद ही नहीं,सब का ख्याल रखना जरूरी है, आदि।
फायदे के बारे में सोचें :-
आप यह सोचें कि बच्चे और माता पिता के लिए यह क्यों फायदेमंद होगा। मसलन, बच्चा अपने माता पिता के बिना रहना सीखेगा, आप खुद के पैर पर खड़े हो पाएंगी। बच्चा बेहतर और मजेदार तरीके से समय गुजार पाएगा। यह सोचें कि बच्चे और आपके बीच एक तीसरा इंसान है जो एक दूसरे की सहायता कर सकते हैं।