सीडीएस चौहान के पुस्‍तक का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया विमोचन

India news : भविष्य में खतरों की प्रकृति, प्रकार और समय को लेकर अस्थिरता बढ़ रही है। यह बात चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने अपनी नई किताब में कही है। किताब का नाम ‘रेडी, रेलेवेंट एंड रिसर्जेंट: अ ब्लूप्रिंट फॉर द ट्रांसफोर्मेशन ऑफ इंडियाज मिलिट्री’ है। इसी दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका विमोचन किया।

सशस्त्र बलों में बदलावों को समझने की कोशिश

जानकारी के मुताबिक, यह एक दुर्लभ घटना है कि एक चार सितारा जनरल ने एक किताब लिखी है। इस किताब के चलते हम भारतीय सशस्त्र बलों में आ रहे बदलावों को समझ सकते हैं। जो संयुक्तता, एकीकरण और आत्मनिर्भरता पर आधारित है, ताकि 21वीं सदी की युद्ध की चुनौतियों का सामना किया जा सके और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

वहीं एक्‍स पर एक पोस्‍ट साझा करते हुए एकीकृत रक्षा कर्मचारियों के मुख्यालय ने कहा,  यह किताब देश की रक्षा व्यवस्था में नए दौर की शुरुआत दिखाती है। इनमें कई प्रभावशाली लेख हैं, जो यह किताब 2047 तक सशक्त, सुरक्षित, समृद्ध और विकसित भारत बनाने के लिए तैयार की जाने वाली भविष्य की सेना बनाने के लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण प्रदान करती है। 

देश की ताकत के चार मुख्य ‘उपकरण’

इस किताब में सीडीएस चौहान ने लिखा है कि,  भविष्‍य में भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा रखता है और आर्थिक रूप से मजबूत और राजनीतिक रूप से स्थिर भारत की नींव एक मजबूत सेना पर टिकी होनी चाहिए। देश की ताकत के चार मुख्य उपकरणों (कूटनीतिक, अंतरराष्ट्रीय, सैन्य और आर्थिक) को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए,  ताकि दुश्‍मनों से लड़कर भारत अपनी मंजिल हासिल कर सके।

जनरल चौहान ने अपनी किताब में बताया

इसी दौरान जनरल चौहान ने अपनी किताब के जरिए बताया कि सशस्त्र बल हमेशा देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खतरे का सामना करने वाले पहले लोग रहे हैं और उन्होंने हमेशा अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई है। उनका कहना है कि जैसे-जैसे हम 21वीं सदी के कठिन भूराजनीतिक माहौल में आगे बढ़ रहे हैं, भविष्य में खतरों की प्रकृति, प्रकार और समय को लेकर अनिश्चितता बढ़ रही है।

वरिष्ठ अधिकारियों को सुरक्षा योजना बताई

जानकारी देते हुए सीडीएस चौहान ने कहा कि 2014 में दिल्ली में पहली संयुक्त कमांडर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत के तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी सुरक्षा की योजना बताई थी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री का एक ही मत था कि तीनों सेनाओं को एक आधुनिक ताकत बनाना, जो पुराने और नए दोनों क्षेत्रों में भारत के हितों की रक्षा कर सके।

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