जम्मू हो या कश्मीर संभाग दोनों के साथ होगा न्याय: गृहमंत्री

जम्मू-कश्मीर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू में मकवाल बॉर्डर पहुंचे। यहां उन्होंने जवानों से भी बातचीत की। उन्‍होंने कहा कि उन्हें बिना किसी चिंता के देश की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार उनके परिवारों की देखभाल करेगी। इसके बाद उन्होंने एक स्थानीय निवासी का मोबाइल नंबर लिया और अपना नंबर भी साझा किया। नागरिक से कहा कि जब भी जरूरत हो, उनसे संपर्क कर सकते हैं। साथ ही नागरिकों को बताया कि मोदी सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों में हर सुविधा प्रदान करने और विकास सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके साथ उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद थे। इससे पले भगवती नगर मैदान में अमित शाह ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर की शांति में खलल डालने के तमाम तरह की साजिशें चल रही हैं। वह प्रदेश की जनता को विश्वास दिलाते हैं कि यह साजिशें न तो कामयाब होंगी और न ही सफल होने दी जाएंगी। प्रदेश का युवा विकास की राह पर आगे बढ़ चला है, दहशतगर्द उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा जम्मू वालों के साथ अन्याय का युग अब समाप्त हो चुका है। जम्मू हो या कश्मीर संभाग दोनों के साथ न्याय होगा। प्रधानमंत्री मोदी के शासन में किसी के साथ अन्याय नहीं हो सकता। जम्मू में विकास युग की शुरूआत हो चुकी है। युवा सचेत हो गया है। यदि युवा वर्ग गरीबों की सेवा में जुट जाए तो दहशतगर्द कुछ नहीं बिगाड़ सकते। उन्होंने कहा 370 हटाने के बाद तीन परिवार वाले मजाक उड़ाते थे कि कौन यहां निवेश करने आएगा। व्यापक पैमाने पर निवेश के प्रस्ताव आ रहे हैं। अब तक 12 हजार करोड़ रुपये के निवेश आ चुका है। इसमें जम्मू में सात व कश्मीर में पांच हजार करोड़ रुपये है। कहा कि 2022 के अंत तक 51 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा। पांच लाख युवाओं को रोजगार मिलेगा। उनसे सवाल पूछ रहे हैं कि अमित शाह दौरे में क्या देकर जाओगे। पहले तीन परिवार वालों को 70 साल के कार्यों का हिसाब देना चाहिए फिर सवाल पूछना चाहिए। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज ही उन्होंने जम्मू से 15 हजार करोड़ से ज्यादा के काम घोषित किए हैं। तीन परिवार वालों ने अपने शासनकाल में भी 15 हजार करोड़ के काम नहीं करवाए होंगे। उन्होंने कहा 2014 से अब तक 239 लोगों की जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के चलते मौतें हुई हैं। यह आंकड़ा कम तो हुआ है, लेकिन हम चाहते हैं कि ऐसी स्थिति बने जिसमें एक भी नागरिक की जान न जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *