वाराणसी। शिव की नगरी काशी चैत्र नवरात्रि पर शक्ति स्वरुपा की आराधना में लीन हो गई। मां आदिशक्ति के अनुष्ठान घर से लेकर मंदिरों तक हो रहे हैं। भक्त नवरात्रि की प्रतिपदा पर मुख निर्मालिका गौरी के दर्शन कर रहे हैं। माता शैलपुत्री के मंदिर में भी श्रद्धालुओं की कतार देखने को मिल रही है।जय माता दी के नारों से पूरा शहर गूंज उठा है। मंदिरों के बाहर बैरिकेडिंग के साथ ही गर्भगृह से लेकर मंदिर परिक्षेत्र की धुलाई, रंगाई-पुताई का काम मंगलवार को ही पूरा हो गया था।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। मंदिरों के बाहर पुलिस कर्मी की तैनात किए गए हैं। मंदिरों के बाहर बैरिकेडिंग की गई है। दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर, भदैनी स्थित नौ दुर्गा, महिषासुर मर्दिनी, कमच्छा स्थित कामाख्या देवी और बड़ी शीतला मंदिर में पहले नवरात्रि को भारी भीड़ देखने को मिल रही है।
शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा का आगमन बुधवार को नाव से हुआ। नाव पर सवार होकर ही मां दुर्गा कलश में विराजीं, फिर 30 मार्च को महानवमी पर हाथी पर सवार होकर प्रस्थान करेंगीं। महाअष्टमी व्रत का पारण 30 मार्च और नौ दिनों का व्रत रखने वाले 31 मार्च को पारण करेंगे।
काशी विद्वत कर्मकांड परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने बताया कि माता का आगमन और प्रस्थान सुखदायक है। नवरात्र में सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि, रवि योग और गुरु पुष्य योग का महा संयोग निर्मित हो रहा है। श्रद्धालुओं को इस बार पूरे नौ दिन माता की आराधना के लिए मिल रहे हैं। सप्तमीयुक्त अष्टमी में श्रद्धालु महानिशा की पूजा करेंगे। निशिथ व्यापिनी अष्टमी योग 28 मार्च को बन रहा है, जो महानिशा पूजन के लिए सर्वोत्तम है। महाष्टमी व्रत 29 मार्च को और महानवमी 30 मार्च को होगी।