काम की खबर। स्मार्टफोन लोगों की जिंदगी का इतना अहम हिस्सा हो गया है कि लोग खाना-खाए बिना तो कुछ देर रह सकते हैं लेकिन मोबाइल का डाटा खत्म हो गया हो या बैटरी खत्म हो गई है तो उनका रहना मुश्किल हो जाता है। स्मार्टफोन के कई नुकसान हैं तो कई फायदे भी हैं लेकिन दुःख की बात यह है कि फायदे के बजाय फोन से लोगों को नुकसान ही बहुत हो रहा है।
स्मार्टफोन की अधिकता के साथ ही गेमिंग की लत बढ़ी है जो कि अब जानलेवा साबित हो रही है, लेकिन इन सबसे अलग मोबाइल टावर का रेडिएशन है जिस पर कोई ध्यान नहीं देता है। यह हमारी सेहत के लिए किसी जहर से कम नहीं है। आज हम आपको बताएंगे मोबाइल रेडिशन और टावर रेडिएशन के सेहत पर प्रभाव और इसे जांचने के तरीके के बारे में-
क्या है मोबाइल टॉवर रेडिएशन?
किसी भी डिवाइस को एक-दूसरे से कनेक्ट होने के लिए एक नेटवर्क की जरूरत होती है। मोबाइल फोन के साथ भी ऐसा ही है। मोबाइल फोन के नेटवर्क के लिए टेलीकॉम कंपनियां अलग-अलग क्षेत्रों में जरूरत के मुताबिक टावर इंस्टॉल करती हैं। नेटवर्क के मामले में रेडिएशन दो तरह का होता है।
पहला टावर से निकलने वाला और दूसरा मोबाइल का रेडिएशन। टावर का रेडिएशन तो आप खुद से चेक नहीं कर सकते, लेकिन अपने फोन का कर सकते हैं। टावर का रेडिशन हमारे सीधे संपर्क में नहीं रहता है, इसलिए इसका गलत प्रभाव शरीर पर बहुत कम पड़ता है लेकिन फोन 24 घंटे हमारे साथ रहता है इसलिए इसका प्रभाव बहुत ज्यादा पड़ता है।
हम जिस मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, उनसे एक विशेष प्रकार की तरंगें (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन) निकलती हैं, जिन्हें आम जनजीवन के लिए हानिकारक माना जाता है। मोबाइल रेडिएशन से मानसिक अवसाद समेत कई घातक बीमारियों के होने की आशंका रहती है। अगर आप अपने मोबाइल फोन के रेडिएशन को चेक करना चाहते हैं, तो इसके लिए मोबाइल से *#07# डायल करना होगा।
यह नंबर डायल करते ही मोबाइल स्क्रीन पर रेडिएशन संबंधी जानकारी आ जाएगी। इसमें दो तरह से रेडिएशन के स्तर को दिखाया जाता है। एक ‘हेड’ और दूसरा ‘बॉडी’। हेड यानी फोन पर बातचीत करते हुए मोबाइल रेडिएशन का स्तर क्या है और बॉडी यानी फोन का इस्तेमाल करते हुए या जेब में रखे हुए रेडिएशन का स्तर क्या है? आईफोन में सार वैल्यू चेक करने के लिए सेटिंग में जनरल के बाद लीगल में आरएफ एक्पोजर चेक करें।
मोबाइल रेडिएशन से होने वाले नुकसान:-
मोबाइल रेडिएशन से दिमाग का कैंसर, एकाग्रता, आंख की समस्याएं, तनाव में वृद्धि, जन्मजात के लिए जोखिम, न्यूरोडेगेनेरेटिव डिसऑर्डर, दिल का जोखिम, प्रजनन क्षमता और सुनने में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। एम्स और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने एक स्टडी में दावा किया गया है कि मोबाइल रेडिएशन के कारण इंसान बहरा हो सकता है, यहां तक कि नपुंसक होने की भी संभावना रहती है। हालांकि इसका कोई साक्ष्य अभी तक सामने नहीं आया है।
कितना होना चाहिए मोबाइल का रेडिएशन ?
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ‘स्पेसिफिक एब्जॉर्प्शन रेट’ (सार) के तहत किसी भी स्मार्टफोन, टैबलेट या अन्य स्मार्ट डिवाइस का रेडिएशन 1.6 वॉट प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। शरीर से डिवाइस की 10 मिलीमीटर की दूरी पर भी यह नियम लागू होता है। यदि फोन पर बात करते हुए या जेब में रखे हुए, आपका डिवाइस रेडिएशन की इस सीमा को पार करता है, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। अगर फोन का सार वैल्यू 1.6 वॉट प्रति किग्रा (1.6 W/kg) से अधिक है तो तुरंत अपना फोन बदल लें।
क्या हैं रेडिएशन से बचने के तरीके?
टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों के मुताबिक, डिवाइस को रेडिएशन से बिलकुल मुक्त तो नहीं किया जा सकता, लेकिन कुछ समय के लिए इससे बचा जरूर जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, फोन को चार्जिंग पर लगाकर कभी बात न करें। इस वक्त मोबाइल रेडिएशन 10 गुना तक बढ़ जाता है। सिग्नल कमजोर होने या फिर बैटरी डिस्चार्ज होने पर कॉल न करें। इस दौरान भी रेडिएशन लेवल बढ़ जाता है। जरूरत पड़ने पर ईयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करें। इससे शरीर पर रेडिएशन का इफेक्ट कम पड़ता है।