1 मई को क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस? जानें इसका इतिहास

Labour Day: मजदूर दिवस मेहनत करने वाले लोगों के संघर्ष और अधिकारों के सम्मान, योगदान और मेहनत को मान्यता देने के लिए एक बेहद खास दिन होता है। यह दिन उन सभी मजदूरों को समर्पित है, जो कठिन परिश्रम से आम जनता के जीवन को आसान बनाते हैं। श्रमिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजदूर दिवस मनाया जाता है।मजदूर दिवस राष्ट्रों की सरकारों और संस्थाओं को यह याद दिलाता है कि समाज का विकास तभी संभव होता है जब श्रमिक सुरक्षित और सम्मानित हों। इस लेख में जानिए मजदूर दिवस कब मनाया जाता है। मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत सबसे पहले कहां और किसने की.

कब मनाया जाता है मजदूर दिव

हर साल 1 मई को मजदूर दिवस यानी Labour Day मनाया जाता है। यह दिन श्रमिकों और मेहनतकश लोगों के अधिकारों और उनके योगदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है.

मजदूर दिवस की स्थापना

मजदूर दिवस की नींव 1886 में रखी गई थी, जब इस दिन को मनाने की मांग अमेरिका के शिकागो शहर में उठी। उस वर्ष मजदूर अपने सम्मान और अधिकारों के लिए सड़क पर उतर आए थे। हालांकि पहली बार मजदूर दिवस 1889 में मनाने का फैसला लिया गया।

भारत मे मजदूर दिवस की शुरुआत

भारत में पहली बार मजदूर दिवस 1923 में मनाया गया था। इस दिन की शुरुआत चेन्नई में कम्युनिस्ट नेता सिंगारवेलु चेट्टियार ने की थी। उन्होंने मजदूरों के हक और अधिकारों की मांग को लेकर मद्रास हाई कोर्ट के सामने पहली बार मजदूर दिवस की सभा आयोजित की थी। इसी सभा में पहली बार भारत में ‘मई दिवस’ मनाया गया।

मजदूर दिवस मनाने की वजह

1886 से पहले अमेरिका में मजदूरों ने अपने हक के लिए हड़ताल की। मजदूरों की कार्य अवधि को लेकर यह आंदोलन हुआ था। उस दौर में मजदूर 15-15 घंटे काम किया करते थे। आंदोलन के दौरान पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चलाईं , जिसमें कई श्रमिकों की जान चली गई और कई घायल हो गए। 

मजदूरों की कार्य अवधि कम करने की मांग

घटना के तीन साल बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें तय हर मजदूर की प्रतिदिन कार्य अवधि 8 घंटे तय कर दी गई। वहीं एक मई को मजदूर दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। बाद में अमेरिकी मजदूरों की तरह ही दूसरे देशों में भी श्रमिकों के लिए 8 घंटे काम करने का नियम लागू कर दिया गया।

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