जेलों में बड़ी संख्या में विचाराधीन कैदी

नई दिल्ली। लोकतंत्र में न्यायिक व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका है और लिए यह जरूरी है कि न्याय आसानी से सुलभ हो। इससे न्यायपालिका पर भरोसा भी बढ़ता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सम्मेलन में इस बात पर विशेष जोर दिया है कि जनता को न्याय आसानी से मिले। प्रत्येक नागरिक तक न्याय आसानी से पहुंचे। न्याय की सुगमता जीवन की सुगमता जितना ही महत्वपूर्ण है।

न्यायपालिका पर लोगों का बहुत भरोसा है। उन्होंने जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की रिहाई पर भी जोर दिया है क्योंकि 2020 तक चार लाख 88 हजार कैदी जेलों में थे जिनमें तीन लाख 71 हजार कैदी विचाराधीन हैं। बड़ी संख्या में  जेलों में विचाराधीन कैदियों का रहना न्यायसंगत नहीं माना जा सकता है। इसलिए ऐसे कैदियों की रिहाई के लिए विशेष अभियान चलाने की जरूरत है।

ऐसे कैदियों की रिहाई क्यों नहीं हो पा रही है उन कारणों पर भी विचार करना होगा जिससे कि रिहाई प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने विचाराधीन कैदियों की रिहाई के बारे में कई बार बात की है। जिला न्यायाधीश विचाराधीन मामलों की समीक्षा कर रिहाई में तेजी ला सकते हैं।

कानून मंत्री किरण रिजिजू ने आश्वस्त किया है कि सरकार विचाराधीन कैदियों की रिहाई सुगम करने के लिए प्रयास कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एनबी रमना ने भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा यह भी उठाया कि बहुत कम लोग अदालतों तक पहुंचा पा रहे हैं। इसलिए यह भी आवश्यक है कि समाज में व्याप्त असमानता को दूर कर सभी नागरिकों की न्याय तक पहुंच को आसान बनाया जाय।

संविधान की प्रस्तावना में सभी नागरिकों के लिए सामाजिकआर्थिक और राजनीतिक न्याय की बात तो कही गई है लेकिन वास्तविकता यह है कि हमारी आबादी का एक छोटा हिस्सा ही न्याय के लिए अदालतों तक पहुंच पाता है। ज्यादातर लोग जागरूकता और आवश्यक माध्यमों के अभाव में मौन रहकर पीड़ा सहते रहते हैं। इसलिए यह आवश्यक है इस प्रवृत्ति को दूर करने का प्रयास किया जाय।

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