जानें अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस का इतिहास और महत्व…

लाइफ स्टाइल। दुनिया भर में महिलाओं पर हो रहे हिंसा को रोकने और महिलाओं को इसके प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 25 नवंबर को ‘अंतर्राष्‍ट्रीय महिला हिंसा उन्‍मूलन दिवस’ मनाया जाता है। राष्‍ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्‍यूरो की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान महिलाओं और बच्‍चों के खिलाफ पारंपरिक अपराधों में कमी आई थी। लेकिन देश में अपराधिक मामलों में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। एनसीआरबी के मुताबिक 2020 में देश में यौन शोषण के प्रतिदिन लगभग 77 मामले दर्ज किए गए थे और अब तक कुल 28,046 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। दुनियाभर में महिला हिंसा के 3,71,503 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। लोगों की सोच बदलने और महिलाओं को उनका हक दिलवाने के उद्देश्य से हर साल ये दिन मनाया जाता है।

इस दिन का इतिहास:-
25 नवंबर 1960 में पैट्रिया मर्सिडीज, मारिया अर्जेटीना और एंटोनियो मारिया टेरेसा द्वारा डोमिनिक शासक रैफेल टुजिलो की तानाशाही का विरोध किया गया था। तब उस शासक के आदेशानुसार तीनों बहनों को बेरहमी से मरवा दिया गया। 1981 में लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई नारीवादी एनकेंट्रोस के कार्यकर्ताओं ने 25 नवंबर को महिलाओं के खिलाफ हिंसा का मुकाबला करने और तीनों बहनों की पुण्‍यतिथि के रूप में मनाने का आदेश दिया। 17 दिसंबर 1999 को संयुक्‍त राष्‍ट्र ने इस दिन को अधिकारिक प्रस्‍ताव के रूप में अपनाया था।

अंतराष्‍ट्रीय महिला हिंसा उन्‍मूलन दिवस का उद्देश्‍य:-
इस दिवस को मनाने का प्राथमिक उद्देश्‍य महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना और महिलाओं के बुनियादी मानवाधिकारों व लैंगिक समानता के विषय में जागरूक करना है।

थीम
महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए इस बार की थीम है ‘यूनाइट! यानी महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए एकजुटता और सक्रियता’ है। संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह अभियान 25 नवंबर से शुरू होकर 16 दिनों तक चलेगा। इस का समापन 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के दिन होगा।

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