नई दिल्ली। भारत अपने संशोधित विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने से पिछले 8 साल में दूसरी बार बड़े अंतर से चूकने वाला है। एलआईसी के आईपीओ से 60,000 करोड़ जुटाने की सरकार की योजना खटाई में पड़ने से ऐसा होने की आशंका है।
वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद के बाद से सरकार के लिए विनिवेश लक्ष्य से चूकने का यह दूसरा मौका होगा। इससे पहले 2019-20 में भी सरकार 65,000 करोड़ के संशोधित विनिवेश लक्ष्य को पाने से चूक गई थी।
उस साल सिर्फ 50,304 करोड़ ही जुटाए थे। चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से 78,000 करोड़ जुटाने का संशोधित लक्ष्य रखा गया है। सरकार अब तक सिर्फ 12,400 करोड़ ही जुटा पाई है। 2,700 करोड़ एअर इंडिया की बिक्री और एक्सिस बैंक में हिस्सेदारी बिक्री से 3,994 करोड़ रुपये मिले हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध गहराने से शेयर बाजारों में मची उथलपुथल को देखते हुए सरकार इस आईपीओ को अगले वित्त वर्ष के लिए टाल सकती है। ऐसा होने पर विनिवेश लक्ष्य अधूरा रह जाएगा। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी है।