Maldive: मालदीव दौरे पर पहुंचे भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का माले एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया गया है. मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू खुद एयरपोर्ट पर पहुंचे और प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया है. जिसके बाद अब संभावना है कि दोनों देशों के संबंध, जो मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद खराब होने लगे थे, वो फिर से सुधर गये हैं. यह यात्रा भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है.
पीएम मोदी का मालदीव में भव्य स्वागत
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के मालदीव पहुचनें पर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइजु ने एयर पोर्ट पर भव्य स्वागत किया. इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत बच्चों ने पारंपरिक नृत्य प्रस्तुति के साथ किया. राष्ट्रपति मुइज्जू के साथ-साथ मालदीव सरकार के कई शीर्ष मंत्री, जिनमें विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री और गृह सुरक्षा मंत्री शामिह हैं, वो भी प्रधानमंत्री मोदी की आगवानी के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद थे. यह साफ संकेत है कि द्विपक्षीय रिश्तों को नई ऊर्जा देने के लिए दोनों देशों में राजनीतिक इच्छाशक्ति मौजूद है.
पाकिस्तान और चीन को तगड़ा झटका
भारत की कूटनीति ने चीन और पाकिस्तान को एक साथ बड़ा झटका दिया है. पीएम मोदी का मालदीव में यह स्वागत चीन और पाकिस्तान के लिए किसी सदमे से कम नहीं है. क्योंकि इससे पहले एक समय वह भी था जब राष्ट्रपति मुइज्जू ने चुनाव जीता था तो वह भारत के धुर विरोधी बन गए थे. उनका पूरा चुनाव अभियान ही भारत विरोधी रहा था. उन्होंने चुनाव जीतने के बाद मालदीव से भारत को बाहर करने का वादा भी किया था.
मालदीव के विकास में पीएम मोदी का दोबारा सहयोग
मुइज्जू ने चुनाव जीतने के बाद वही किया. वह चीन और पाकिस्तान के मुरीद हो बैठे. मगर तब भारत ने ऐसी कूटनीतिक चाल चली, जिससे माले की अर्थव्यवस्था हिचकोले खाने लगी. वहीं चीन मालदीव को अपने कर्जजाल में फंसाने लगा. तब मुइज्जू को समझ आ गया कि उसका असली हितैषी भारत ही है. लिहाजा मुइज्जू ने अपने किए पर पछतावा किया और मालदीव के विकास में पीएम मोदी से दोबारा सहयोग मांगा. प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव को हर तरह से मदद की. हाल ही में मालदीव में हुए हादसे में भारत से मानवीय मदद पहुंचाई. अब पीएम मोदी मालदीव पहुंचे तो मुइज्जू ने उनका भव्य स्वागत करके चीन और पाकिस्तान को चौंका दिया.
मालदीव और भारत के सुधर रहे हैं रिश्ते
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मालदीव के राष्ट्रपति ने पहले चीन और तुर्की जैसे देशों से संबंध बढ़ाने की कोशिश की थी. उनका मकसद भारत को दरकिनार करना था. लेकिन बहुत जल्द उन्हें अहसास हो गया कि भारत के बिना स्थिति काफी मुश्किल हो सकती है. क्योंकि मालदीव हिंद महासागर के बीच में है और कई द्वीपों में बिखरा देश है. यहां भारत की मदद के बिना मालदीव को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. किसी भी आपत स्थिति में सबसे पहले भारतीय मदद ही पहुंच सकती है. श्रीलंका ने भी मालदीव के राष्ट्रपति को भारत के साथ संबंध सुधारने की सलाह दी थी. जिसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के तीसरी बार शपथ ग्रहण समारोह में मोहम्मद मुइज्जू दिल्ली आए थे. इसके अगले महीने फिर से मोहम्मद मुइज्जू ने दिल्ली का द्विपक्षीय दौरा किया था. फिर धीरे धीरे संबंध सुधरने लगे.
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