आज और कल दो दिन मनाई जाएगी मौनी अमावस्या….

नई दिल्‍ली। हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। धार्मिक रूप से अमावस्या के दिन स्नान-दान का बड़ा ही महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किसी तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान-दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिये अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी किया जाता है।

इस दौरान सोमवार को लगने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व बताया गया है। इस बार अमावस्या तिथि दो दिन पड़ रही है इसलिए यह अमावस्या आज यानि  31 जनवरी और 1 फरवरी को मनाई जाएगी।

सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं संतान और जीवनसाथी की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। व्रत में महिलाएं पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं। ऐसी मान्यता है कि पीपल के वृक्ष के मूल भाग में भगवान विष्णु, अग्रभाग में ब्रह्मा और तने में भगवान शिव का वास होता है, इसलिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का महत्व है।
सोमवती अमावस्या पर भगवान शिव को व्रत द्वारा प्रसन्न किया जाता है। महिलाएं सोमवती अमावस्या के व्रत को अपने पति की दीघार्यु की कामना से रखती हैं। यह व्रत कोई भी व्यक्ति रख सकता है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव का अभिषेक पूरे नियम से करने से वह प्रसन्न होकर सौभाग्य का वरदान देते हैं।
सोमवती अमावस्या के दिन प्रातः पैरों के नीचे आक के पत्ते सिर और माथे पर रखकर भगवान शिव का ध्यान करते हुए स्नान करें। शिवालय जाकर जल में दूध मिलाकर शिवजी का अभिषेक करें।  बेलपत्र और धतूरे को शिवजी को अर्पित करें। अगर शिवालय जा पाना संभव न हो तो घर पर ही मिट्टी का शिवलिंग बनाकर इनका अभिषेक करें।
जो लोग घर में पारद शिवलिंग स्थापित करना चाहते हैं वह इस शुभ संयोग का लाभ उठा सकते हैं। घर पर पारद शिवलिंग की पूजा करना भी उत्तम रहेगा। सोमवती अमावस्या के दिन अन्न का दान करें। आप अपनी श्रद्धा अनुसार चावल दाल नमक तिल का दान कर सकते हैं। पितृ तर्पण के लिए सोमवती अमावस्या का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है, इसलिए दोपहर के समय पितरों की शांति के लिए पूजा करें।

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