भगवद गीता और नाट्यशास्त्र यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल, PM मोदी बोले…

 memory of the world register शास्‍त्रों के अनुसार बताया बया है कि भगवद गीता और  भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया गया। इसे मामले को लेकर पीएम मोदी ने बहुत उत्‍साहित हुए थे। उन्होंने ये भी कहा कि यह दुनिया भर में हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक है। केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी इस पर खुशी जाहिर की।

 शाश्वत बुद्धिमत्ता और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता 

 ऐसा माना गया है कि पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा है कि यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में गीता और नाट्यशास्त्र को शामिल किया जाना हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता और समृद्ध संस्कृति की वैश्विक मान्यता है। गीता में लिखे हर शास्‍त्र व नाट्य का हमें ज्ञान होना चाहिए क्‍योंकि यह हमारी संस्‍कृति का प्रमुख भाग है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को सही मार्ग में प्रेरित करती रहती है।

शाश्वत ज्ञान और कलात्मक का जश्‍न

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक्स पर लिखा कि भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए यह एक ऐतिहासिक क्षण है। भगवद् गीता एक प्रतिष्ठित धर्मग्रंथ और आध्यात्मिक मार्गदर्शक है। यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा होने का जश्न मनाता है। दरसअल कहा गया है कि नाट्यशास्त्र, प्रदर्शन कलाओं पर एक बहुत ही पुरानी या कह सकते हैं कि प्राचीन ग्रंथ है। यह लंबे समय से भारत की बौद्धिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रमुख स्तंभ है।  

सौंदर्यवादी विचार

उन्होंने ये भी कहा है कि ये कालातीत रचनाएं साहित्यिक खजाने से कई गुना अधिक हैं। वे अपने दार्शनिकों और सौंदर्यवादी विचार के आधार पर कार्य  करते हैं जिन्होंने भारत के विश्व दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्त करने के तरीके को आकार व परिमाण दिया है। इसके साथ ही अब हमारे देश के 14 अभिलेख इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर में शामिल हो गए हैं।

 ऐसा माना जाता है कि 17 अप्रैल को यूनेस्को ने अपने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में 74 नए दस्तावेजी विरासत संग्रह को जोड़े है। इससे कुल संग्रहों की संख्या 570 हो गयी है इस रजिस्टर में 72 देशों और चार अंतरराष्ट्रीय संगठनों की वैज्ञानिक क्रांति, इससे हमारी  सभ्‍यता का पहचान जाहिर होता है इसलिए इतिहास में महिलाओं का योगदान तथा बहुपक्षवाद की प्रमुख उपलब्धियों पर प्रविष्टिता शामिल की गईं। 

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