New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने राजद नेता और पार्टी के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है। 1995 में हुए दोहरे मर्डर केस में सजा सुनाई गई है। ये खबर तक आयी है जब मुंबई के आलीशान होटल ग्रैंड हयात में भाजपा-विरोधी I.N.D.I.A. की बैठक चल रही है। वोट के लिए हत्या के किसी केस में शायद बिहार में ऐसी पहली सजा है। निचली अदालत से लेकर हाईकोर्ट तक प्रभुनाथ सिंह को राहत मिलती गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब उन्हें दोषी मानकर उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके साथ ही हत्याकांड में मारे गए दो परिवारों को 10-10 लाख रु देने का आदेश भी प्रभुनाथ सिंह और बिहार सरकार को दिया है। इसके अलावा इस घटना में जख्मी हुए एक शख्स को 5 लाख रू की आर्थिक मदद देने का आदेश दिया है। फिलहाल प्रभुनाथ सिंह जेल में ही हैं। तत्कालीन एमएलए अशोक सिंह की हत्याकांड में जेल में सजा काट रहे हैं।
निचली अदालत के बाद पटना हाईकोर्ट से भी मिल गई थी राहत
दरअसल यह मामला 1995 में डबल मर्डर केस का है। आरोप यह था कि पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह ने अपने कहे अनुसार वोट नहीं देने पर छपरा के मसरख निवासी राजेंद्र राय (47) और दारोगा राय (18) की हत्या करवा दी। इन लोगों ने प्रभुनाथ सिंह समर्थित प्रत्याशी को अपना मत नहीं दिया था। पहले यह मामला निचली अदालत पहुंचा था। 2008 में सबूतों के अभाव में यहां से पूर्व सांसद को रिहाई मिल गई थी। इसके बाद यह मामला पटना हाईकोर्ट में पहुंचा। 2012 पटना हाईकोर्ट में मामला गया तो यहां पर निचली अदालत के फैसले को सही माना।
सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया
हाईकोर्ट फैसले के विरोध में राजेंद्र राय के भाई ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों (जस्टिस किशन कौल, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस विक्रम नाम) की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। दोनों पक्ष की दलीलों को सुना। इस मामले प्रभुनाथ सिंह के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाया। कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को डबल मर्डर केस में दोषी करार दिया।