पीएम मोदी ने पीठासीन अधिकारियों के तीन दिवसीय शताब्दी सम्मेलन का किया उद्घाटन
हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में संसद और राज्यों के विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों के तीन-दिवसीय शताब्दी सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को किया। पीएम मोदी ने कहा कि पीठासीन अधिकारियों की यह महत्पूर्ण कॉन्फ्रेंस हर साल कुछ नए विमर्शों और नए संकल्पों के साथ होती है। हर साल इस मंथन से कुछ न कुछ अमृत निकलता है। जो हमारे देश को, देश की संसदीय व्यवस्था को गति देता है, नई ऊर्जा देता है, नए संकल्पों के लिए प्रेरित करता है। यह भी बहुत सुखद है कि आज इस परंपरा को 100 साल हो रहे हैं। यह हम सबका सौभाग्य भी है और भारत के लोकतांत्रिक विस्तार का प्रतीक भी है। पीएम मोदी ने कहा कि मैं इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी को देश की संसद और सभी विधानसभाओं के सभी सदस्यों और सभी देशवासियों को भी बधाई देता हूं। पीएम ने कहा कि भारत के लिए लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है। लोकतंत्र भारत का स्वभाव है। भारत की सहज प्रवृति है। आपकी यह यात्रा इसलिए भी और विशेष हो गई है क्योंकि इस समय भारत आजादी के 75 साल का पर्व (अमृत महोत्सव) मना रहा है। यह संयोग इस कार्यक्रम की विशिष्टता को तो बढ़ाता ही है साथ ही हमारी जिम्मेदारियों को भी कई गुना कर देता है। हमें आने वाले वर्षों में देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है। असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं। यह संकल्प सबके प्रयास से ही पूरे होंगे। लोकतंत्र में भारत की संघीय व्यवस्था में जब हम सभी का प्रयास की बात करते हैं तो सभी राज्यों की भूमि का उसका बड़ा आधार होती है। पीएम मोदी ने कहा कि बीते सालों में देश ने जो हासिल किया है। उसमें राज्यों की सक्रिय भागीदारी ने बड़ी भूमिका निभाई है। चाहे पूर्वोत्तर की दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान हो, दशकों से अटकी-लटकी विकास की तमाम बड़ी परियोजनाओं को पूरा करना हो, ऐसे कितने ही काम हैं, जो देश ने बीते सालों में सबके प्रयास से किए हैं। सबसे बड़ा उदाहरण कोरोना का है। कारोना की लड़ाई सभी राज्यों ने जिस एकजुटता के साथ लड़ी है, यह अपने आप में ऐतिहासिक है। भारत 110 करोड़ वैक्सीन डोज का आंकड़ा पार कर चुका है। जो कभी असंभव लगता था, वो आज संभव हो रहा है। हमारे सामने भविष्य के जो सपने हैं, जो अमृत संकल्प है, वो भी पूरे होंगे। देश और राज्यों के एकजुट प्रयासों से ही यह सपने पूरे होने वाले हैं। यह समय अपनी सफलताओं को आगे बढ़ाने और जो रह गया उसे पूरा करने का है। नई सोच, नए विजन के साथ हमें भविष्य के लिए नए नियम और नीतियां भी बनानी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे सदन की परंपराएं और व्यवस्थाएं स्वभाव से भारतीय हों। हमारी नीतियां, कानून भारतीयता के भाव को, ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को मजबूत करने वाले हों। सबसे महत्वपूर्ण, सदन में हमारा खुद का भी आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो। पीएम मोदी ने कहा कि ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। इस दिशा में हमें अभी भी बहुत कुछ करने के अवसर हैं। हमारा भारत विविधताओं से भरा है। हजारों वर्ष की विकास यात्रा में हम इस बात को अंगीकृत कर चुके हैं कि विविधता के बीच भी एकता की भव्य, एकता की दिव्य अखंड धारा बहती है। एकता की यही अखंड धारा हमारी विविधता को संजोती है और उसका संरक्षण भी करती है। पीएम मोदी ने कहा कि बदलते हुए समय में सदनों की विशेष जिम्मेदारी है कि देश एकता और अखंडता के संबंध में अगर एक भी भिन्न स्वर उठता है तो उससे सतर्क रहना होगा। विविधता को विरासत के रूप में गौरव मिलता रहे, हम अपनी विविधता का उत्सव मनाते रहें, सदनों से यह संदेश भी निरंतर जाते रहना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि राजनीतिक दल में ऐसे में जनप्रतिनिधि होते हैं, जो राजनीति से परे अपना समय, जीवन समाज की सेवा में, लोगों के उत्थान में खपा देते हैं। उनके यह सेवा कार्य राजनीति में लोगों की आस्था और विश्वास को मजबूत बनाए रखते हैं। ऐसे जनप्रतिनिधियों को समर्पित पीएम ने एक सुझाव दिया। पीएम मोदी ने कहा कि सदनों में साल में तीन चार दिन ऐसे रखे जा सकते हैं, जिसमें समाज के लिए कुछ विशेष कर रहे जनप्रतिनिधि अपने अनुभव बताएं। ॔ऐसे जनप्रतिनिधि अपने जीवन के इस पक्ष के बारे में देश को जानकारी दें। इससे दूसरे जनप्रतिनिधियों के साथ ही समाज के अन्य लोगों को भी बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। राजनीति और राजनीति क्षेत्र के नेताओं का यह रचनात्मक योगदान भी उजागर होगा। वहीं रचनात्मक कामों में लगे लोग जिनकी राजनीति से दूरी बनाए रखने की जो प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, उसकी बजाय ऐसी सेवा करने वाले लोग राजनीति से जुड़ते जाएंगे। इससे राजनीति भी अपने आप में समृद्ध होगी। सदनों में एक कमेटी बना दी जाए जो ऐसे अनुभवों के संबंध में स्क्रीनिंग कर तय ले कि इन लोगों का कथन होना चाहिए। इससे गुणात्मक तौर पर बहुत बदलाव आएगा। पीठासीन अधिकारी यह बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि अच्छी से अच्छी चीजों को किस तरह खोजकर लाया जाता है। पीएम मोदी ने कहा कि इस तरह के आयोजन से बाकी सदस्यों को राजनीति से कुछ अलग करने की प्रेरणा मिलेगी। क्वालिटी डिबेट को बढ़ावा देने के लिए कुछ न कुछ इनोवेटिव किया जा सकता है। डिबेट में वैल्यू एडिशन कैसे हो, गुणात्मक तौर पर (क्वालिटेटिवली) डिबेट नए स्टैंडर्ड को कैसे प्राप्त करे, हम क्वालिटी डिबेट के लिए भी अलग से समय निर्धारित करने के बारे में सोच सकते हैं।