अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन का भारत में पहली यात्रा, 2024 अमेरिका और भारत के संबंधों के लिए काफी अहम

वाशिंगटन।  अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन भारत यात्रा को लेकर उत्सुक हैं। दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने इस प्रस्तावित यात्रा की जानकारी दी है। डोनाल्ड ने बताया कि सितंबर में बाइडेन भारत की यात्रा को लेकर आशान्वित हैं। जी-20 में भारत का नेतृत्व दुनिया में अच्छाई के लिए एक ताकत के रूप में खड़े होने की अपनी क्षमता को और व्यापक बनाता है। अमेरिका के द्वारा इसको लेकर कहा गया कि 2024 अमेरिका और भारत के संबंधों के लिए काफी अहम साबित होगा।

उन्होंने कहा कि बेशक ‘यह बड़ा वर्ष होने जा रहा है। भारत जी-20 की मेजबानी कर रहा है। इस वर्ष,  यूएसए APEC की मेजबानी कर रहा जबकि जापान जी-7 की मेजबानी कर रहा है। हमारे पास क्वाड के कई सदस्य हैं जो नेतृत्व की भूमिका निभा रहे हैं। दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने गुरुवार को एक साक्षात्कार में कहा, “यह हम सभी देशों को एक साथ लाने के अवसर प्रदान करते हैं।

बाइडेन की भारत में पहली यात्रा

डोनाल्ड ने कहा कि ‘मैं जानता हूं कि हमारे राष्ट्रपति सितंबर में भारत की यात्रा को लेकर उत्सुक हैं। जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में यह उनकी पहली भारत यात्रा होगी। हम वास्तव में उत्साहित हैं कि अगले कुछ महीनों में क्या होने वाला है। “हम इस नए साल में केवल तीन महीने से थोड़ा अधिक समय ले रहे हैं और हमारे पास वास्तव में कई रोमांचक चीजें हुई हैं। हम आने वाले कुछ महीनों में होने वाले घटनाक्रम को लेकर सच में उत्साहित हैं।”

जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक की सराहना

अमेरिकी अधिकारी ने कहा, “मार्च में डॉ. एस जयशंकर ने अपने क्वाड समकक्षों की मंत्री स्तरीय बैठक के लिए मेजबानी की थी और चारों विदेश मंत्रियों ने रायसीना संवाद में भाग लिया था। यह क्वाड के विदेश मंत्रियों के साथ इस तरह की पहली सार्वजनिक चर्चा थी।” उन्होंने बताया कि “भारत ने पिछले महीने जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक की मेजबानी कर जो शानदार काम किया है, उसके लिए हम आभारी हैं। हम इस वर्ष जी-20 की कई बैठकों में सक्रियता से भाग लेने के लिए उत्साहित हैं जिनमें सितंबर में होने वाली नई दिल्ली नेतृत्व सम्मेलन भी शामिल है।”

भारत ने तैयार बड़ा एजेंडा

विदेश मंत्रियों की बैठक में, भारत ने एक एजेंडा बनाया जिसने उन्हें दुनिया की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों पर चर्चा करने और ठोस समाधान खोजने के लिए विचार-विमर्श करने की अनुमति दी।

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