नई दिल्ली। इन्वेस्टर जिस तरह IPO में पैसा लगाने के लिए अस्बा का विकल्प चुनते हैं, उसी तरह का नियम अब सेकंडरी बाजार में भी लागू हो गया है। SEBI ने बुधवार को बोर्ड की बैठक में इसे मंजूरी दे दी। अब निवेशक किसी शेयर को खरीदने के लिए पहले से ही पैसे ब्लॉक कर सकते हैं। नई सुविधा के साथ ग्राहक बचत खाते में अपने ब्लॉक राशि पर तब तक ब्याज प्राप्त कर सकेंगे, जब तक राशि निकल नहीं जाती। हालांकि, सुविधा वैकल्पिक होगी।
दरअसल, अभी तक IPO खरीदना चाहते हैं तो अपने खाते में उस पैसे को ब्लॉक करने के लिए एप्लीकेशन सपोर्टेड बाई ब्लॉक्ड अमाउंट (अस्बा) के तहत आवेदन करना होता है। यही व्यवस्था सेकंडरी यानी जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध हैं, उस पर भी लागू होगी। प्रस्तावित ढांचे के तहत, स्टॉक ब्रोकरों को सीधे UPI ग्राहकों के साथ ब्रोकरेज के निपटान की अनुमति होगी या ग्राहकों के UPI ब्लॉक से ब्रोकरेज दर को लेने के लिए क्लियरिंग कॉरपोरेशन की सुविधा का विकल्प चुनना होगा। ढांचा चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने मामला अदालत में होने की वजह से अदाणी व हिंडनबर्ग पर जवाब देने से मना कर दिया। माधबी पुरी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखें तो उन्होंने हमें अपडेट देने को कहा है। हम आदेश का पालन कर रहे हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत में सिलिकॉन वैली बैंक जैसे हालात नहीं हैं।
निवेशकों के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान
प्रतिभूति बाजार में निवेशक शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करने के प्रयास में सेबी ने पंजीकृत मध्यस्थों व विनियमित संस्थाओं में निवेशकों के लिए ऑनलाइन विवाद समाधान तंत्र को चालू करने का निर्णय लिया है। यह कदम प्रतिभूति बाजार में निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने एवं तकनीकी के बढ़ते उपयोग के कारण लाया गया है।
डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड बनेगा
इन्वेस्ट ग्रेड कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियां खरीदने के लिए बैकस्टॉप सुविधा के तहत वैकल्पिक निवेश कोष के रूप में 3 हजार करोड़ का कॉरपोरेट डेट मार्केट डेवलपमेंट फंड (सीडीएमडीएफ) बनेगा। नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी से मिली गारंटी पर सीडीएमडीएफ कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियां खरीदने के लिए धन जुटा सकती है।
इसका असर, कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में निवेशकों का विश्वास जगाने में मदद मिलेगी। सेकंडरी बाजार में तरलता भी बढ़ेगी। अव्यवस्था के दौरान प्रतिभूतियों को बेचने के लिए फंड तक पहुंच म्यूचुअल फंड स्तर पर फंड में किए गए योगदान के अनुपात में विशिष्ट म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए होगी।
म्यूचुअल फंड
नियामक ने म्यूचुअल फंडों के प्रायोजक बनने के लिए निजी इक्विटी या इसके मैनेजरों के संशोधनों को मंजूरी दे दी है। इनके पास धन प्रबंधन और वित्तीय क्षेत्र में निवेश करने का कम से कम पांच वर्ष अनुभव होना चाहिए। आवेदन के समय कम से कम 50 अरब रुपये की प्रतिबद्ध प्रबंधन होना चाहिए। इसके अलावा, सेबी म्यूचुअल फंड स्कीमों के विदेश में निवेश पर नया नियम लाया है। इसने कहा कि समय के अंतर के कारण अब नेट असेट वैल्यू को एक तय समय के भीतर जारी करना होगा।
इसका असर यह होगा कि म्यूचुअल फंड कंपनियों की संख्या बढ़ेगी। निवेशकों को और विकल्प मिलेंगे। ज्यादा लोगों तक पहुंच होगी।
कंपनियों के बोर्ड में स्थायी रूप से बने रहने का खत्म होगा चलन
नियामक ने कहा कि विशेष अधिकारों की निरंतरता के मुद्दे को हल करने के लिए सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरधारक को दिए गए किसी विशेष अधिकार के लिए समय-समय पर शेयरधारकों की मंजूरी की जरूरत होगी। किसी सूचीबद्ध कंपनी के बोर्ड में स्थायी बोर्ड सीटों की परंपरा को दूर करने के लिए किसी भी निदेशक के लिए समय-समय पर शेयरधारकों की मंजूरी की जरूरत होगी।
शीर्ष-100 कंपनियों को देनी होगी अफवाह की जानकारी
सेबी ने बाजार पूंजीकरण के लिहाज से सूचीबद्ध शीर्ष-100 कंपनियों को कहा है कि वे किसी भी तरह की अफवाहों के बारे में या तो उसे सही बताएं या फिर गलत बताएं। यह नियम एक अक्टूबर से लागू होगा। अप्रैल, 2024 से इसका दायरा बढ़ाकर शीर्ष-250 कंपनियों तक किया जाएगा।