पटना। नीतीश सरकार को कोर्ट से राहत मिलती हुई नजर नही आ रही है। बता दें कि नीतीश सरकार ने बिहार में जातीय जनगणना को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। नीतीश सरकार ने कोर्ट में जल्द सुनवाई के लिए यह याचिका दायर की थी। वहीं इससे पहले भी गणना पर 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। सरकार की इस याचिका पर हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए कहा था कि अब तक जो डेटा कलेक्ट हुआ है, उसे नष्ट ना किया जाए। अब पहले से ही तय तिथि के मुताबिक, 3 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई होगी।
वहीं, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि कोर्ट के फैसले के आधार पर चर्चा की जाएगी। हमारी सरकार गणना को प्रति प्रतिबद्ध है। महागठबंधन सरकार के अधिकतर नेता दावा कर रहे हैं कि भाजपा जाति आधारित गणना को रोकने की कोशिश कर रही है।
जाति आधारित गणना का 80 प्रतिशत काम पूरा
मिली जानकारी के मुताबिक, जाति आधारित गणना का काम 80% पूरा कर लिया गया है, लेकिन उसे 100% करने के लिए और समय की जरूरत है। करीब-करीब ऑफलाइन काम पूरा हो चुका है। 7 जनवरी से शुरू हुई गणना 15 मई को खत्म होने वाली थी, लेकिन उससे पहले ही कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। कैबिनेट से पूरी गणना पर 500 करोड़ खर्च करने की मुहर लगी है, लेकिन इसे कानूनी रूप नहीं दिया गया है।