नई दिल्ली। वैश्विक स्तर पर डालर के मुकाबले रुपया के मूल्य में गिरावट की प्रवृत्ति चिन्ताजनक है लेकिन विकसित अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों की मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपया की अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति राहतकारी है। पिछले दिनों भारतीय मुद्रा 80 रुपए प्रति डालर के स्तर को पार कर गई थी। यह अब तक की सबसे अधिक गिरावट है।
रुपए की मौजूदा स्थिति के सन्दर्भ में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास का शुक्रवार को दिया गया वक्तव्य अत्यन्त महत्वपूर्ण माना जा सकता है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि केन्द्रीय बैंक रुपये में तेज उतार- चढ़ाव और अस्थिरता को कदापि बर्दाश्त नहीं करेगा। आरबीआई के कदमों से रुपए के सुगम कारोबार में मदद मिली है।
रिजर्व बैंक बाजार में अमेरिकी डालर की आपूर्ति कर रहा है। इससे बाजार के नकदी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित हो पा रही है। रिजर्व बैंक ने वैसे अभी तक रुपये के किसी विशेष स्तर का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है लेकिन रुपए की स्थिति में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं जिससे कि उसमें मजबूती आ सके। इसी क्रम में शक्तिकांत दास ने यह भी आश्वस्त किया है कि विदेशी मुद्रा की अप्रतिबन्धित उधारी से परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
बड़ी संख्या में ऐसे लेन- देन सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियां कर रही हैं और आवश्यकता पड़ने पर सरकार इसमें हस्तक्षेप कर सकती है और मदद भी कर सकती है। मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण के लिए 2016 में अपनाए गए मौजूदा ढांचे ने अच्छा प्रदर्शन किया है जिसे अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र के हित में जारी रखने की आवश्यकता है।
यह बात भी सही है कि रुपए के लगातार गिरते स्तर से महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि आयातित वस्तुओं के लिए अधिक रुपया देना पड़ता है। इसका सीधा प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता पर पड़ता है। वैश्विक स्थितियों के चलते रुपया सहित अन्य मुद्राएं प्रभावित हुई हैं। इसके बावजूद रुपए की स्थिति में सुधार के लिए निरन्तर जरूरी कदम उठाते रहना होगा तभी रुपए में मजबूती आएगी और तभी देश का आर्थिक संभल मजबूत होगा।